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नेशनल

शहीद औरंगजेब के पिता बोले- सरकार हत्यारों को 72 घंटे में ढेर करे, नहीं तो खुद बदला लूंगा

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कश्मीर के पुलवामा में जवान औरंगजेब को कातिल आतंकवादियों ने मौत के घाट उतारा दिया। शहीद हुए औरंगजेब ईद की छुट्टी पर घर लौट रहे थे। औरंगजेब के पिता मोहम्मद हनीफने बेटे की मौत का बदला लेने के लिए मोदी सरकार को 72 घंटे का वक्त दिया है। उन्होंने शनिवार को बेटे को सुपुर्द-ए-खाक करने से पहले कहा कि मोदी सरकार अगर मेरे बेटे के हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती तो वे खुद बदला लेंगे।

शहीद के पिता पूर्व सैनिक मुहम्मद लतीफ का कहना है कि यह सरकारें अपनी कुर्सी बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। मैंने अपना बेटा खोया है जो गया मेरा गया। बाकी किसी का कुछ भी नहीं गया। जो अधिकारी और राजनेता मेरे पास आकर अपनी संवेदना प्रकट कर रहे हैं वे भी एक-दो दिन के बाद आना बंद कर देंगे। मेरा बेटा कभी भी नहीं आएगा, लेकिन जिन आतंकवादियों ने उसे मारा है उनको को जल्द ढेर किया जाए।

उन्होंने कहा कि अगर बेटे के कातिलों को ढेर नहीं किया तो वह खुद हथियार उठाकर उन्हें मारने के लिए निकल जाएंगे। वह पूर्व सैनिक हैं और सभी प्रकार के हथियार चलाना बेहतर ढंग से जानते हैं। बेटे की मौत का बदला लेंगे, क्योंकि यह सरकार संघर्ष विराम करने वाली सरकार है बदला लेने वाली नहीं।

शहीद औरंगजेब का भाई भी सेना में है। वह भी गुरुवार को ही ईद मनाने छुट्टी पर अपने घर आया है। उसका कहना है कि सरकार ड्रामा बंद कर आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। जल्द इंसाफ दिया जाए, राजनीति के बीच आखिर और कितने खून बहेंगे। गांव के लोगों ने आतंकवाद व पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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