प्रादेशिक
सब्र का इम्तिहान लेने की बात कहकर शख्स करता था लड़कियों का यौन शोषण, गिरफ्तार
रांची। झारखंड में एक शख्स को लड़कियों के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आरोपी एक गैर सरकारी संगठन का निदेशक है। आरोप है कि वह नर्सिंग की छात्राओं के सब्र की परीक्षा लेने के लिए उनका यौन शोषण करता था।
एनजीओ की ओर से राज्य के खूंटी जिले में चलाए जाने वाले नर्सिंग इंस्टिट्यूट की कई छात्राओं ने निदेशक पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। पीड़िताओं के मुताबिक, इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर बबलू उर्फ परवेज आलम छात्राओं के सब्र का इम्तिहान लेने को उन्हें पकड़ कर अपने हाथ उनके कपड़ों में डालता था।
इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, आरोपी परवेज आलम पिछले काफी समय से नर्सिंग छात्राओं को अपना शिकार बनाता रहा है।
परवेज आलम की करतूतों का खुलासा उस समय हुआ जब कुछ छात्राओं ने अपनी पीड़ा एक समाजिक कार्यकर्ता से शेयर की। छात्राओं की मौखिक शिकायत के आधार पर सोशल ऐक्टिविस्ट लक्ष्मी बखला ने इस संबंध में राज्यपाल को चिट्ठी लिखी।
इसके बाद ब्लॉक डेवलेपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) के अधीन जांच शुरू की गई और स्थानीय महिला थाने की एक टीम को भी इंस्टिट्यूट भेजा गया। जांच की रिपोर्ट एसपी को सौंपी गई जिसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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