प्रादेशिक
अब झारखंड में मास्क न पहनने पर लगेगा 1 लाख का जुर्माना
रांची। देशभर में कोरोना के बढ़ते ही जा रहे हैं। देश में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 12 लाख 88 हजार के पार पहुंच गई है जिनमें 8,17,593 लोग ठीक हो चुके हैं। हालांकि इनमें से 30,645 लोगों की मौत हो चुकी है। अब राज्यों को कोरोना के बढ़ते प्रसार को देखते हुए कड़े कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
अब झारखण्ड में सार्वजनिक स्थानों में मास्क नहीं पहनने के नियम का उल्लंघन करने वालों पर अब सीधे 1 लाख रुपये का जुर्माना और झारखंड संक्रामक रोग अध्यादेश के तहत 2 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। राज्य मंत्रिमंडल ने इस पर मंजूरी दे दी है।
इस तरह के जुर्म पर अधिकतम एक लाख रुपये तक का जुर्माना और दो साल कैद तक की सजा हो सकती है। अध्यादेश विधानसभा में पेश किया जाएगा, जिसके बाद इससे संबंधित नियमावली बनेगी कि किस तरह के अपराध में कितना जुर्माना लगना है। झारखंड में बुधवार को COVID-19 के 439 नए मामले सामने आए, जबकि तीन और लोगों की मौत हो गई। राज्य में मरने वालों की संख्या 64 है। 3,570 सक्रिय मामले हैं। कुल 3,048 लोग अब तक अस्पतालों से डिस्चार्ज हो चुके हैं।
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उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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