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अन्तर्राष्ट्रीय

जानिए, कैसा है एड्स से भी खतरनाक इबोला वायरस जो मरीज के पसीने से फैलता है

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अभी हाल ही में अफ्रीकी देश कांगो में इबोला वायरस के नए मामले पाए जाने के बाद इथियोपिया में हाई अलर्ट कर दिया गया है। एड्स की ही तरह इबोला भी अफ्रीकी महाद्वीप से फैला है, लेकिन यह एड्स से ज्‍यादा घातक है। आइए जानते  इसकी कौन सी खूबियां इसे एड्स से ज्‍यादा खतरनाक बनाती हैं :

क्‍या हैं इबोला के लक्षण

इबोला पश्चिमी अ‍फ्रीका में हजारों लोगों की जान ले चुकी है। शुरूआत किसी भी वायरल इन्‍फेक्‍शन की तरह होती है। सरदर्द, बुखार, चक्‍कर, पेटदर्द, उल्‍टी के बाद कमजोरी। 90 फीसदी मामलों में रोगी की मौत हो जाती है। कोई दवा या टीका ऐसा विकसित नहीं किया जा सका है जिससे इसे रोकने या ठीक करने में कामयाबी मिल सके । 1970 के दशक में इस वायरस की खोज कांगो की इबोला नदी के किनारे हुई थी इसीलिए इसका नाम इबोला पड़ गया।

कैसे फैलता है यह इबोला

खतरनाक इबोला वायरस मरीज के पसीने, लार या दूसरे शारीरिक द्रव्‍य के संपर्क में आने से फैलता है

इबोला के मामले सबसे पहले 1976 में सामने आए। फल खाने वाले चमगादड़ में  इबोला वायरस प्राकृतिक तौर पर पनपते हैं। इनसे चमगादडों को कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन कहा जाता है कि गिनी देश के एक बच्‍चे ने इसी तरह के एक चमगादड़ का मांस खा लिया और अब यह बीमारी महामारी का रूप ले चुकी है। चमगादड़ों की प्रतिरोधक क्षमता इंसानों से अलग है इसी वजह से वे इस बीमारी से बचे हुए हैं।

मरीज मौत के बाद भी वायरस बांटता रहता है

इस वायरस की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह सांस से नहीं फैलता बल्कि मरीज के पसीने, लार या दूसरे शारीरिक द्रव्‍य के संपर्क में आने से फैलता है। इसीलिए इबोला के मरीज के मरने के बाद भी उसके अंतिम संस्‍कार में शामिल होने वाले लोगों के इससे संक्रमित होने का खतरा ज्‍यादा रहता है। इसी वजह से जिन अफ्रीकी देशों में इबोला फैला हुआ है, वहां की सरकारें मरीजों के शव अंतिम संस्‍कार के लिए नहीं दे रही हैं।

इंसानों के शरीर पर क्‍या होता है असर

शुरूआती लक्षणों के बाद मरीज को तेज बुखार के बाद रक्‍तस्राव और खून की उल्टियां शुरू हो जाती हैं। शरीर के आंतरिक अंगों से खून बहने की वजह से मरीज की मौत हो जाती है। वाइट ब्‍लड सेल्‍स पर हमला, प्रतिरोधक तंत्र बड़ी मात्रा में मैसेंजर आरएनए भेजता है जो खून का प्रवाह करने वाली नसों को ब्‍लॉक कर देते हैं और वे फट जाती हैं।

चूंकि अभी तक इसकी कोई दवा विकसित नहीं की जा सकी है इसलिए इससे बचाव ही सुरक्षित रहने का सबसे बड़ा उपाय है ।

अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका में पढ़ाई कर रहे दो भारतीय छात्रों की सड़क हादसे में मौत, कॉलेज से घर लौटते समय हुआ हादसा

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न्यूयार्क। अमेरिका में पढाई कर रहे तेलंगाना के दो छात्रों की सड़क हादसे में मौत हो गई है। दोनों छात्रों निवेश मुक्का और गौतम कुमार पारसी की शनिवार रात एरिजोना के पियोरिया में उस समय जान चली गई, जब उनकी कार दूसरी कार से जा टकराई। दोनों की उम्र 19 वर्षीय थी।

रिपोर्ट के अनुसार, निवेश करीमनगर जिले के हुजूराबाद शहर का रहने वाला था, वहीं गौतम कुमार जनगांव जिले के स्टेशन घनपुर का रहने वाला था। दोनों एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहे थे।

दोनों अपने दोस्तों के साथ विश्वविद्यालय से घर लौट रहे थे, तभी सामने से आ रही कार ने उनके वाहन को टक्कर मार दी। निवेश और गौतम की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए। निवेश डॉक्टर दंपत्ति नवीन और स्वाति का बेटा था। दोनों छात्रों के परिवारों ने भारत सरकार से शवों को वापस लाने में मदद की अपील की है।

 

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