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गृह मंत्री अमित शाह का विपक्ष पर पलटवार, J-K पर कही ये बात

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नई दिल्ली। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बजट पर चल रहे चर्चा सत्र के दौरान विपक्ष पर जमकर पलटवार किया। गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 का जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने से कोई लेना-देना नहीं है, सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा। दरअसल, लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने गृह मंत्री अमित शाह से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर कई सवाल पूछे थे। इसका जवाब देते हुए  गृह मंत्री ने कहा कि यह पूछा गया था कि अनुच्छेद 370 हटाने के वक्त जो वादे किए गए थे, उसका क्या हुआ?

अमित शाह ने आगे कहा कि मैं इसका जवाब जरूर दूंगा, लेकिन अभी तो 370 को हटे हुए मात्र 17 महीने हुए हैं, आपने 70 साल क्या किया, उसका हिसाब लेकर आए हो क्या? यही नहीं गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है, मैं हर चीज का जवाब दूंगा।

लेकिन जिन लोगों को पीढ़ियों तक शासन करने का अवसर दिया गया था, उन्हें ये देखना चाहिए कि क्या वे जवाब मांगने के लिए उपयुक्त हैं। यही नहीं, केंद्रीय गृह मंत्री ने आगे कहा कि कई सांसदों ने कहा कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2021 को लाने का मतलब है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा।

अमित शाह ने कहा कि मैं इस बिल का बना रहा हूं और लाया हूं। मैंने अपने विचार स्पष्ट कर दिए हैं। ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा, आप ऐसे निष्कर्ष कहां से निकालते हैं? अमित शाह ने आगे कहा कि मैंने पहले भी सदन में कहा था और मैं अब फिर दोहरा रहा हूं कि इस बिल से जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अमित शाह ने आगे कहा कि उचित समय आने पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाएगा।

 

 

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पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा

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