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नेशनल

कृषि बिलों को लेकर एनडीए पर हरसिमरत कौर बादल ने एक बार फिर साधा निशाना

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कृषि बिलों को लेकर एनडीए पर हरसिमरत कौर बादल ने एक बार फिर निशाना साधा है। एनडीए के पुराने साथियों में से एक शिरोमणि अकाली दल ने गठबंधन से अलग होने का फैसला कर लिया है।

अकाली दल एनडीए से बाहर हो गया, जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

प्रियंका गांधी ने कृषि बिलों को लेकर भाजपा सरकार पर बोला हमला

” एनडीए और भाजपा पर हमला बोला। हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए पर हमला बोला और लिखा कि ये वो एनडीए नहीं है।” अपने ट्वीट में हरसिमरत कौर बादल ने लिखा।

#nda #badal #bjp #agriculturebills #akalidal #harsimratkaur

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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