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मनोरंजन

फिल्‍म समीक्षा फितूर: कमजोर पटकथा, लेकिन खूबूसूरत फिल्मांकन

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फिल्‍म समीक्षा फितूर, कमजोर पटकथा, खूबूसूरत फिल्मांकन, चार्ल्स डिकेन की 19वीं सदी की नॉवेल 'ग्रेट एक्सपेक्टेशन', निर्देशक अभिषेक कपूर, आदित्य राय कपूर, तब्बू, कटरीना कैफ

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मुंबई। चार्ल्स डिकेन की 19वीं सदी की नॉवेल ‘ग्रेट एक्सपेक्टेशन’ पर आधारित अभिषेक कपूर की फिल्म ‘फितूर’ का हर फ्रेम महत्वाकांक्षा और सुंदरता में जैसे डूबा हुआ है। अनय गोस्वामी द्वारा बेहद खूबसूरती से फिल्माई गई ये फिल्म बहुत आराम से एक ऐसी दुनिया में सेट है जहां समय का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। अभिषेक कपूर कहानी को विक्टोरियन इंग्लैंड से कश्मीर में सेट करते हैं, जहां 9 साल के नूर का दिल घमंडी और शाही फिरदौस पर आ जाता है, जिसे वो पहली बार उसकी मां हजरत बेगम यानी तब्बू के एस्टेट में देखता है। दोनों बच्चे अच्छे दोस्त बन जाते हैं। पर बार-बार नूर को ये एहसास दिलाया जाता है कि फिरदौस उसकी पहुंच से बाहर है।

15 साल बाद नूर यानी आदित्य राय कपूर को दिल्ली की आर्ट रेजिडेंसी में स्कॉलरशिप मिलती है, वो कामयाबी की ओर बढ़ ही रहा है, कि उसकी मुलाकात फिर फिरदौस से होती है, जिसे किरदार में कटरीना कैफ हैं। नूर को एहसास होता है कि आज भी फिरदौस हर बार उसे मिक्स्ड सिगलन्स देती है और अंत में वो नूर को दूरी बनाए रखने के लिए कहती है, क्योंकि वो अपनी मां द्वारा पसंद किए गए पाकिस्तानी राजनीतिज्ञ से शादी करने जा रही है। फिल्म के पहले घंटे में मैं पूरी तरह से कहानी और किरादारों में घुसा रहा पर इंटरमिशन के बाद फिल्म का स्क्रीनप्ले इतना मजबूत नहीं है। कश्मीर के तनाव भरे राजनीतिक मौसम को कहानी में बुना नहीं गया है, हैदर की तरह। जो हमें ये सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ये फिल्म कश्मीर में सिर्फ इसकी खूबसूरती दर्शाने के लिए सेट की गई है।

फिल्म के दूसरे घंटे में हम हजरत बेगम के किरदार को और नजदीक से समझ पाते हैं, जो चार्ल्स डिकेन की नॉवेल से मिस हैविशम के किरदार पर बेस्ड है। कड़वाहट और अकेलेपन से भरे इस किरदार में तब्बू लाजवाब हैं, जो नूर का दिल तोड़ने के लिए सही चाल चलती है। फिल्म की राइटिंग सिलसिलेवार नहीं होने के बावजूद भी तब्बू इस किरदार को इंसानियत से भरती हैं, जो आसानी से करेक्टराइज हो सकता था। फितूर की सबसे बड़ी ताकत या कमजोरी इसके लीड पेयर ही हो सकते हैं जहां तक मेरी राय है, मैं बहुत सरप्राइज हुआ। आदित्य रॉय कपूर बेहद ईमानदार हैं, और हम बार मैनिपुलेट होने के बावजूद भी वो नूर की मासूमियत को पर्दे पर उतारते हैं। वहीं खूबसूरत कटरीना कैफ अक्सर अपनी फिल्मों की कमजोर कड़ी मानी जाती हैं, वो फिरदौस के किरदार के लिए बेहद स्मार्ट च्वाइस हैं। वो उस मिस्ट्री को अपने चेहरे पर बहुत सही ढंग से दर्शाती हैं। फितूर एक परफेक्ट फिल्म नहीं है, पर ये इतनी खूबी से बनाई गई है जो आंख और कान दोनों को अच्छी लगती है। मैं फितूर को 5 में 2.5 स्टार देता हूं।

मनोरंजन

शिंदे की शिवसेना में शामिल हुए गोविंदा, मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं चुनाव

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मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति से बड़ी खबर सामने आई है। बॉलीवुड एक्टर गोविंदा ने शिवसेना शिंदे गुट का दामन थाम लिया है। बालासाहब ठाकरे भवन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी ज्वॉइन की। बताया जा रहा है कि वे मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं।

इस अवसर पर गोविंदा ने कहा कि एकनाथ शिंदे जी का धन्यवाद, आज के दिन शिवसेना जॉइन करने का मतलब भगवान से मिली प्रेरणा है। उन्होंने कहा कि 2004 से 2009 तक कांग्रेस पार्टी का सांसद रहा। अब चौदह बरस के बनवास के बाद शिवसेना में शामिल हुआ हूं। गोविंदा ने कहा मुंबई अब पहले सुंदर और विकसित दिखाई पड़ रही है। यहां विकास के काम हो रहे हैं ।

इससे पहले शिंदे गुट के नेता कृष्णा हेगड़े ने गोविंदा से उनके आवास पर मुलाकात की थी, तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि वे शिवसेना शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। सीएम एकनाथ शिंदे की ओर से गोविंदा को लोकसभा चुनाव लड़ाया जा रहा है। वे मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से ताल ठोक सकते हैं। शिवसेना यूटीबी ने अमोल कीर्तिकर को इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। अगर शिवसेना शिंदे गुट ने टिकट दिया तो गोविंदा मुंबई ईस्ट वेस्ट पर अमोल कीर्तिकर को कड़ी चुनौती दे सकते हैं।

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