हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक हैरान कर देने वाला एलीमनी से जुड़ा मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने अपने पति से गुज़ारा भत्ता के रूप में 12 करोड़ रुपये की मांग की। इस केस की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई कर रहे थे। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने महिला की इस मांग को अनुचित बताया और साफ शब्दों में कहा कि उसे खुद काम कर अपनी रोज़ी-रोटी कमानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि महिला पढ़ी-लिखी है और ऐसे में इतनी बड़ी रकम की मांग करना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने विकल्प देते हुए कहा कि या तो उसे चार करोड़ रुपये मिल सकते हैं या फिर एक घर। साथ ही यह भी सलाह दी कि वह नौकरी तलाशे, क्योंकि उसके पास एमबीए की डिग्री है और आईटी क्षेत्र में काम का अनुभव भी। उन्होंने बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां आईटी पेशेवरों की अच्छी मांग है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने यह भी नोट किया कि इस विवाह को केवल 18 महीने हुए थे और महिला बीएमडब्ल्यू कार, मुंबई में घर और 12 करोड़ की डिमांड कर रही है। जब महिला ने कहा कि उसका पति उसे मानसिक रूप से बीमार (सिज़ोफ्रेनिया) बताकर तलाक लेना चाहता है, तो उसने सवाल उठाया कि क्या वह वाकई बीमार दिखती है? इस पर सीजेआई ने दो टूक कहा कि वह अपने पति के पिता की संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकती।