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नेशनल

कड़ी धूप में साइकिल से ऑफिस पहुंचे मोदी सरकार के मंत्री, संभाला कार्यभार

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नई दिल्ली। शपथ ग्रहण के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सोमवार को पहली बार अपने ऑफिस पहुंचे। हर्षवर्धन अपने पहले दिन साइकिल से ऑफिस पहुंचे।

ऑफिस में पहली बार पहुंचने पर मंत्रालय के कर्मचारियों ने फूलों का गुलदस्ता भेंटकर उनका स्वागत किया। विश्व साइकिल दिवस के मौके पर डॉ. हर्षवर्धन का साइकिल से ऑफिस पहुंचने को एक बड़े संदेश के रूप में देखा जा सकता है।

भारतीय राजनीति में डॉ. हर्षवर्धन की पहचान उनकी सादगी के लिए रही है। केंद्र सरकार में मंत्री होते हुए वह अक्सर आम लोगों से मिलते रहते हैं। उनकी सादगी और मैत्रीपूर्ण सरल स्वभाव की सराहना उनके विरोधी भी करते हैं।

डॉ. हर्षवर्धन के अलावा मोदी सरकार के एक और मंत्री साइकिल से सफर करने के लिए मशहूर हैं। हाल ही मोदी सरकार में मंत्री बने मनसुख मांडविया भी साइकिल से सफर करने को लेकर जाने जाते हैं।

इतना ही नहीं 30 मई को मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भी वह साइकिल से पहुंचे थे। मांडविया ने साइकिल से शपथ ग्रहण में जाने के बारे में कहा, ‘मेरे लिए साइकिल पर शपथ ग्रहण में जाना कोई फैशन नहीं है, बल्कि यह मेरा पैशन है। मैं संसद में हमेशा साइकिल पर सवार होकर जाता रहा हूं। यह पर्यावरण के हित में है। इससे ईंधन की बचत होती है और इससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।’

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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