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आध्यात्म

दिवाली से पहले घर से इन चीज़ों को करें बाहर, वर्ना नहीं होगा मां लक्ष्मी का वास

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लखनऊ। इस बार पूरे देश में 14 नवंबर को दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा। इसके लिए लोगों ने अभी से घर में तैयारियां कर दी हैं। वास्तु के अनुसार हमारे घर में कई ऐसी छोड़ देते हैं जिससे घर पर मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। जानिए ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में जिन्हें दिवाली से पहले घर से निकाल फेंक देना चाहिए।

टूटे बर्तन

कई बार कप, प्लेट सहित कई चीजें ऐसी होती हैं तो थोड़ी सी टूट या चटक जाती हैं। फिर भी हम उनका इस्तेमाल करते रहते हैं। लेकिन वास्तु के अनुसार ऐसी चीजों को तुरंत घर से हटा देना चाहिए।

टूटा हुआ कांच

इस तरह का कांच दुर्भाग्य की निशानी माना जाता है। इसलिए अगर आपके घर पर कोई खिड़की, दरवाजा आदि का कांच टूटा हैं तो तुरंत उसे बदलवा दें। इसके साथ ही टूटा हुआ शीशा, गिलास, तस्वीर आदि को फेंक देना चाहिए।

फर्नीचर

वास्तु के अनुसार माना जाता है कि टूटा हुआ फर्नीचर का सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए इसे तुरंत हटा देना चाहिए।

खंडित मूर्तियां

कई बार हमें भगवान की मूर्तियां इतनाी ज्यादा प्रिय लगती हैं कि टूट जाने के बाद भी उन्हें हम नहीं हटाते है। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा करने से आप अपने घर खुद की दुर्भाग्य को प्रवेश करा रहे हैं। इसलिए अगर आपके घर पर भी कोई खंडित मूर्ति हैं तो उसे किसी मंदिर, पीपल, बरगद के पेड़ के नीचे रख सकते हैं।

इलेक्ट्रानिक समान

हर किसी के घरों में इलेक्ट्रानिक समान का खूब इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन खराब इलेक्ट्रानिक्स को फेंकने के बजाय उसे संभाल कर रख लेते हैं। लेकिन आपको बता दें कि खराब इलेक्ट्रानिक से कुंडली में वास्तु और शनि दोष लगता है। इसलिए अगर आपके घर पर भी खराब इलेक्ट्रानिक की चीजें पड़ी हैं तो तुरंत उसे सही करा लें या फिर फेंक दे।

घड़ी

वास्तु के अनुसार बंद घड़ी का सीधा संबंध आपके और परिवार की तरक्की से है। इसलिए अगर कोई बंद घड़ी पड़ी हुई हैं तो उसे करा लें या फिर फेंक दे।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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