आध्यात्म
जानिए क्या है नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त, कैसे करते हैं इस दिन पूजा
कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस साल 2018 को रूप चतुर्दशी 6 नवम्बर के दिन मनाई जाएगी। इसे छोटी दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन संध्या के बाद दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है। नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन और पूजन-विधि के बारे –
पूजा का शुभ मुहूर्त –
सुबह – 9 बजकर 32 मिनट से 11 बजकर 45 मिनट तक।
दोपहर – 12 बजकर 05 मिनट से 1 बजकर 22 मिनट तक।
शाम – 5 बजकर 40 मिनट से 7 बजकर 05 मिनट तक।
नरक चतुर्दशी पूजन –
नरक चतुर्दशी पर सुबह तेल लगाकर चिचड़ी की पत्तियां(चिचड़ी- चमत्कारी पौधा) पानी में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है।इस मौके पर ‘दरिद्रता जा लक्ष्मी आ’ कह घर की महिलाएं घर से गंदगी को घर से बाहर निकालती हैं।
नरक चतुर्दशी पूजन-विधि –
इस दिन सुबह उठकर सबसे पहले नहा धोकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और संभव हो तो तिल का तेल लगाने के बाद नहाएं।
इस दिन शरीर पर चंदन का लेप लगाकर नहाने और भगवान कृष्ण की उपासना करने का भी विधान है।
शाम के समय घर की दहलीज पर दीप जलाएं और यम देव की पूजा करें।
नरक चौदस के दिन भगवान हनुमान की पूजा भी की जाती है।
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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