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नेशनल

कोरोना की बेकाबू रफ्तार के बीच राहत भरी खबर, 99 फीसदी ठीक हो रहे हैं लोग

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर देश में तबाही मचा रही है। इस खतरनाक वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र राज्य हैं, जहां पर रोजाना बड़ी संख्या में कोरोना के नए मरीज मिल रहे हैं।

कोरोना की बेकाबू रफ्तार से ज्यादातर लोग काफी तनाव में हैं। इस बीच एक आंकड़ा सामने आया है, जिससे काफी हद तक लोगों की टेंशन काफी दूर हो सकती है। दरअसल, कोरोना के चलते ज्यादातर लोग ठीक हो जा रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में कोरोना से होने वाली मृत्यु की दर 1.12 फीसदी है, जिसका मतलब यह है कि तकरीबन 99 फीसदी मरीज बीमारी को हराकर ठीक हो रहे हैं।

इसका मतलब बाकी लोग या तो ठीक हो चुके हैं या फिर ठीक हो रहे हैं। इसके अलावा आंकड़ों पर अगर गौर करें तो 85-90 फीसदी मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करवाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है।

ऑक्सीजन की हो रही किल्लत के बीच राहत देने वाली बात यह भी है कि काफी कम लोगों को ही मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है। ज्यादातर लोग मेडिकल ऑक्सीजन और अस्पताल में जाए बिना ही घर पर रहकर ठीक हो जा रहे हैं।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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