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नेशनल

कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी ये अच्छी खबर

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से निकल पूरी दुनिया में फैल चुका है। भारत में भी यह वायरस बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बना चुका है।

हाल ही में इस वायरस ने देश में अपनी रफ्तार तेज कर दी है। इस जानलेवा बीमारी से सबसे ज्याद प्रभावित महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल और दिल्ली हैं। इन राज्यों में कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना वायरस से 80 फीसदी मौतें पांच राज्यों यानी महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल और दिल्ली में हुई हैं, जबकि 60 फीसदी मौतें सिर्फ पांच शहरों यानी मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और ठाणे में दर्ज की गई हैं।

इसी तरह 70 फीसदी मौतें सिर्फ 10 शहरों यानी मुंबई, अहमदाबाद, पुणे, दिल्ली, कोलकाता, इंदौर, ठाणे, जयपुर, चेन्नई और सूरत में हुई हैं।स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि कोरोना वायरस के 80 फीसदी मामले पांच राज्यों में सामने आए हैं, जिनमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, दिल्ली और मध्य प्रदेश शामिल हैं, जबकि 90 फीसदी मामले 10 राज्यों में देखने को मिले हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस के 60 फीसदी मामले सिर्फ पांच शहरों यानी मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और ठाणे में सामने आए हैं, जबकि 70 फीसदी कोरोना मरीज 10 शहरों में पाए गए हैं। भारत में कोरोना वायरस के मरीज तेजी से रिकवर भी हो रहे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि अब देश में कोरोना वायरस के मरीजों की रिकवरी की दर 41 फीसदी है। पिछले 24 घंटे में 3334 कोरोना मरीज रिकवर हुए हैं। इस तरह अब तक 48 हजार 534 लोग रिकवर हो चुके हैं।

उन्होंने एक अच्छी खबर देते हुए बताया कि देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या सिर्फ 3.02 फीसदी है। 19 मई को कोरोना से मरने वालों की दर 3.13 फीसदी थी, जिसमें अब 0.32 फीसदी की कमी आई है। वहीं, अब तक देश में एक लाख 18 हजार 446 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं, जिनमें से 3 हजार 583 लोग दम तोड़ चुके हैं।

 

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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