नेशनल
अहमद पटेल के निधन पर बोलीं सोनिया, कहा- मैंने एक वफादार सहकर्मी और एक दोस्त खो दिया
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का बुधवार को तड़के निधन हो गया। वह 71 साल के थे। करीब एक महीने पहले उनके कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद से उनकी तबीयत बहुत खराब थी। उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। जिसके बाद मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न नेताओं ने पटेल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि ”अहमद पटेल जी का निधन दुखद है। उन्होंने कई साल सार्वजनिक जीवन में बिताए और समाज की सेवा की। उनके तेज दिमाग और कांग्रेस को मजबूत करने में उनकी भूमिका के लिए उन्हें सदा याद किया जाएगा। उनके बेटे फैसल से बात की और संवेदना व्यक्त की। अहमद भाई की आत्मा को शांति मिले।
वहीँ, सोनिया गांधी ने अहमद पटेल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस के एक समर्पित सहकर्मी को खो दिया है। उन्होंने कहा, श्री अहमद पटेल के साथ मैंने एक ऐसे सहकर्मी को खो दिया, जिनका पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी को समर्पित था। उन्होंने आगे कहा, उनकी ईमानदारी और समर्पण, अपने कर्तव्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, उनकी हमेशा मदद करने की तत्परता, उनकी उदारता, ऐसे दुर्लभ गुण थे जो उन्हें दूसरों से अलग करते थे।
उन्होंने आगे कहा, मैंने एक कॉमरेड, एक वफादार सहकर्मी और एक दोस्त खो दिया है, जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता। मैं उनके निधन पर शोक जताती हूं और उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती हूं, उनके प्रति मैं सहानुभूति और समर्थन की भावना रखती हूं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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