प्रादेशिक
इलाज के दौरान महिला में मुंह में हुआ तेज धमाका, आग देखकर कांप गए डॉक्टर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिल में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके बारे में जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। यहां एक महिला द्वारा जहरीला पदार्थ खाए जाने के बाद उसे तुरंत जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान उसके मुंह में अचानक विस्फोट हो गया।
विस्फोट देखकर महिला का इलाज कर रहे डॉक्टर भी चौंक गए। विस्फोट के बाद महिला के मुंह में आग लग गई और धुआं निकलने लगा। कुछ देर बाद इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई।
इस मामले में सब इंस्पेक्टर अरविंद चौधरी ने बताया कि मृतक महिला की पहचान शीला देवी के रूप में हुई है। महिला हरदुआ गंज की रहने वाली थी।
इमरजेंसी वॉर्ड के एसीएमओ राहुल कुमार ने बताया कि यह अपने आप में अजीबोगरीब घटना है। हमने मेडिकल के इतिहास में ऐसा पहली बार देखा है, जब किसी ने जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया हो और उसके मुंह विस्फोट हुआ हो।
एसीएमओ राहुल कुमार ने बताया, ‘इस घटना इसका वीडियो शोध के लिए हम यू-ट्यूब और अन्य सोशल साइटों पर भी डालेंगे। महिला के मुंह में विस्फोट होने की घटना सीसीटीवी में भी कैद हो गई है।
शुरूआती जांच में ऐसा लग रहा है कि महिला ने विस्फोटक पदार्थ का सेवन किया था। जिस कारण उसकी अन्न नली फट गई।’ वहीं, कुछ डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि महिला की अन्न नली में गैस से प्रेशर के कारण विस्फोट हुआ।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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