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बीजेपी के इस उम्मीदवार पर दर्ज हैं इतने मुकदमें, ब्योरा देने में भर गए चार पन्ने

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को चुनाव आयोग में हलफनामे के जरिए अपनी पूरी डिटेल देने पड़ती है। हलफनामे में उम्मीदवार को अपने बारे में छोटी से छोटी जानकारी देनी होती है।

केरल की पट्टनमिट्टा लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार सुरेंद्रन ने भी एफिडेबिट के जरिए चुनाव आयोग को अपनी डिटेल दी है लेकिन इस जानकारी की वजह से उनका नाम सुर्खियों में आ गया है।

दरअसल, सुरेंद्रन के खिलाफ 242 आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिसमें से 222 मामले केवल सबरीमाला से संबंधित हैं। भाजपा के मुखपत्र जन्मभूमि में उन्होंने इन आपराधिक मामलों के बारे में ब्योरा दिया है।

जिसमें चार पेज लग गए। पार्टी को अपने टीवी चैनल जनम टीवी पर सुरेंद्रन के आपराधिक मामलों का ब्योरा देने में 60 सेकेंड का समय लगा। जबकि अन्य उम्मीदवारों के बारे में ब्योरा देने में केवल सात सेकेंड का समय लगा।

पार्टी के एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘यदि किसी दूसरे अखबार के केवल एक संस्करण में उनके ब्योरे के बारे में विज्ञापन दिया जाता तो उसका खर्च करीब 60 लाख रुपये आता। टीवी पर इसका खर्च और ज्यादा आता।’

चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों को निर्देश दिए हैं कि वह अपने खिलाफ लंबित मामलों के बारे में प्रिंट और टीवी पर तीन बार विज्ञापन दें।

नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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