प्रादेशिक
बीएचयू प्रोफेसर फिरोज खान के पिता के बारे में सामने आई ये चौंका देने वाली बात
वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यायल (बीएचयू) में एक मुस्लिम प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच उनके पिता रमजान खान ने बताया कि वह और उनके पूर्वज बीते 100 सालों से राम और कृष्ण के भजन गाते आ रहे हैं। रमजान ने कहा, “जो लोग मेरे बेटे द्वारा विश्वविद्यालय में संस्कृत पढ़ाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, वे जब हमारे परिवार का इतिहास जानेंगे तब शायद उन्हें संतुष्टि होगी।”
संत समाज द्वारा बुधवार को उनके घर जाकर अपना समर्थन देने के दौरान रमजान ने कहा, “मेरे चार बेटे संस्कृत विश्वविद्यालय में पढ़े हैं और मेरी सबसे छोटी बेटी का जन्म दिवाली के दिन हुआ था, जिसके कारण हमने उसका नाम लक्ष्मी रखा है।”
रमजान ने कहा कि प्रोफेसर “फिरोज के दादा एक भजन गायक थे, जो बगरू के एक मंदिर में राधा-कृष्ण और सीताराम के भजन गाने को लेकर लोकप्रिय थे। अब उनका पोता फिरोज भी उनके आदर्शो पर ही चलता है।”
यहां तक कि रमजान और उनका परिवार दो दशक से रामदेव गौशाला में काम भी करता आ रहा है। गौ सेवा के साथ ही वे भजन भी गाते हैं।
इस बीच उनसे मिलने आए संतों का कहना है कि रमजान और उनका परिवार सच्चे हिदू का प्रतीक हैं। महंत सौरभ राघवेंद्राचार्य ने कहा कि हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि फिरोज संस्कृत के विद्वान हैं। उनके खिलाफ विरोध कर रहे लोगों के पास या तो फर्जी डिग्री है या वे खुद फर्जी हैं।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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