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प्रादेशिक

तबीयत बिगड़ने के बाद आजम खान को कराया गया मेदांता अस्पताल में भर्ती

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व यूपी के पूर्व मंत्री आजम खान को तबीयत बिगड़ने के बाद लखनऊ मेदान्ता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। कुछ दिनों पहले उनकी कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। पूर्व मंत्री के साथ ही उनके बेटे अब्दुल्ला भी कोरोना संक्रमित पाए गए थे।

मेदांता में एडमिट करने के बाद उन्हें ऑक्सीजन लेवल कम होने की वजह से ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। बताया जा रहा है कि उनकी हालत फिलहाल स्थिर है। हॉस्पिटल की आठवीं मंजिल पर बने कोरोना वार्ड में क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों की टीम की निगरानी में उनका उपचार चल रहा है। जबकि आजम के बेटे अब्दुल्लाह की सेहत ठीक है।

सीतापुर जेल में बन्द आजम खान की तबीयत बिगड़ने पर वहां के प्रशासन ने उन्हें व उनके बेटे अब्दुल्लाह को रविवार की रात लखनऊ के मेदान्ता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों के मुताबिक दोनों की हालत खतरे से बाहर है।

मेदान्ता हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर बताते हैं कि सिटी स्कैन,एक्सरे व खून की कई जांच  रिपोर्ट के आधार पर पूर्व मंत्री के फेफड़ों में संक्रमण मिला है। जिसका डॉक्टरों ने उपचार शुरू कर दिया है। मंत्री की तबीयत स्थिर है।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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