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नेशनल

जांच में खरा नहीं उतरा अमूल और मदर डेयरी का दूध, 21 नमूने हुए फेल

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नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने शुक्रवार को कहा कि अमूल और मदर डेयरी का दूध अपेक्षित मानकों पर खरा नहीं उतरा है। मंत्री ने बताया कि दोनों ब्रांड समेत दूध के 21 नमूने जांच के दौरान मानकों के अनुसार नहीं पाए गए।

हालांकि जैन ने यह भी कहा कि ये नमूने असुरक्षित नहीं थे, मगर इनमें वसा व अन्य घटकों की मात्रा निर्धारित स्तर पर नहीं पाई गई।

उन्होंने कहा, “मानकों पर खरा नहीं उतरने से अभिप्राय यह है कि वसा की मात्रा पांच फीसदी होनी चाहिए, लेकिन वह तीन फीसदी ही पाई गई। सरल शब्दों में कहें तो पानी मिला हुआ था। दूध के विफल पाए गए 21 नमूनों में से ज्यादातर में मिलावट पाई गई।” उन्होंने कहा कि जांच का यह अभियान जारी रहेगा और पनीर व खोया जैसे दुग्ध उत्पादों की भी जांच की जाएगी।

पूरे शहर से 13 और 28 अप्रैल के दौरान संग्रह किए गए 177 नमूनों की जांच की गई, जिनमें 165 के नतीजे आए हैं। इनमें 21 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। उन्होंने यह भी बताया कि सभी मामलों को अदालत में अग्रसारित किया जाएगा। इसके लिए 5,000 से पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा।

जैन ने बताया कि घी के भी तीन नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें एक गैर-ब्रांड वाला उत्पादन असुरक्षित पाया गया। उन्होंने कहा, “मसला दिल्ली विधानसभा में उठाया गया, जिसके बाद मैंने दिल्ली में दूध के नमूने इक_ा करने के आदेश दिए।”

उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने 18 खाद्य निरीक्षकों को नियुक्त किया है, जिसके बाद नमूनों की जांच में प्रगति आई है। उन्होंने कहा, “अगर कोई उत्पाद असुरक्षित पाया जाता है तो उसके लिए छह महीने से तीन साल तक कारावास का प्रावधान है।”

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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