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आध्यात्म

नवरात्रि 2020: राशि अनुसार करें देवी की पूजा, मां भगवती दूर करेंगी सारे संकट

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नवरात्रि के नौ दिनों के इस पर्व के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि मनाए जाते हैं। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का ज्यादा महत्व होता है।

माना जाता है इस महीने से शुभता और ऊर्जा का आरंभ होता है और ऐसे समय में पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। मां अपने सभी भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और उनकी सभी कष्टों को दूर करती हैं। अगर आप राशि के अनुसार, पूजा करेंगे तो आपकी सभी मनोकामना पूरी हो सकती है और माता रानी आपके कष्टों को दूर कर सकती हैं….

मेष राशि – मेष राशि के जातक स्कन्द माता की पूजा करें और पूजा में लाल रंग के फूल अर्पित करें। इसके साथ है दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालिसा का पाठ करके मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।

वृषभ राशि – वृषभ राशि के जातक मां भगवती के महागौरी स्वरूप की पूजा करें और सुगंधित फूल अर्पित करें। इसके बाद ललिता सहस्त्रनाम और सिद्धिकुंजिकास्तोत्र का पाठ अवश्य करें। अगर संभव हो तो माता के चरणों में चांदी का आभूषण अर्पित कर दें।

मिथुन राशि – मिथुन राशि के जातक मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करें और कपूर से माता के दरबार में पूजा करें। पूजा के बाद ओम शिव शक्त्यै नम: मंत्र का 108 बार जप करें। इसके साथ ही हरी साड़ी का दान करें।

कर्क राशि – कर्क राशि के जातक इन नौ दिनो में शैलपुत्री मां की पूजा करें और लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करें। माता को लाल व पीले फूल चढ़ाएं। मां वरद मुद्रा अभय दान प्रदान करती हैं।

सिंह राशि – सिंह राशि के जातक मां भगवती के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा करें और मां को लाल फूल जरूर अर्पित करें। हर रोज दुर्गा सप्तशति का पाठ जरूर करें और मां के मंत्र की कम से कम 5 माला का जप अवश्य करें।

कन्या राशि – कन्या राशि के जातक नौ दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और माता को लाल फूल अर्पित करके 9 कन्याओं को लाल चुनरी दान में दें। आप हर रोज एक माला लक्ष्मी मंत्रों का जप और दुर्गा चालिसा का पाठ करें।

तुला राशि – तुला राशि के जातक महागौरी की पूजा-अराधना करें। साथ ही हर रोज मां काली या फिर दुर्गा सप्तशति के प्रथम चरित्र का पाठ करें। माता को पीले फूल अवश्य अर्पित करें।

वृश्चिक राशि – इस राशि के जातक माता स्कंदमाता की पूजा करें और हर रोज दुर्गा सप्तमी का पाठ करें। इसके साथ अड़हुल के पुष्प अर्पित करें।

धनु राशि – धनु राशि के जातक माता चंद्रघंटा की पूजा करें और श्रीरामरक्षा स्तोत्र का ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करें। अगर संभव हो तो जरूरतमंद को अपने यहां खाना खिलाएं। ऐसा करने से माता का आप पर आशीर्वाद बना रहेगा।

मकर राशि – मकर राशि के जातक मां भगवती के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करें और नर्वाण मंत्र का हर रोज सुबह-शाम जप करें। जो भक्त माता काली को प्रसन्न कर लेता है, उसे जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।

कुंभ राशि – कुंभ राशि के जातक कालरात्रि की पूजा करें और हर रोज देवी कवच का पाठ करें। माता हमेशा अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करती है।

मीन राशि – मीन राशि के जातक मां सिद्धिदात्री की पूजा करें और बगलामुखी मंत्र का एक माला जप करें। आप हर रोज सुबह शाम दुर्गा सप्तशति का पाठ करें।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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