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नेशनल

दिल्ली में अतिथि शिक्षकों के नियमितकरण के खिलाफ प्रदर्शन

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (आईएएनएस)| दिल्ली विधानसभा के बाहर बुधवार को बीस से अधिक लोगों ने अतिथि शिक्षकों को नियमित करने वाले विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह विधेयक बुधवार को विधानसभा के विशेष एकदिवसीय सत्र में पारित होना है। इस विधेयक को पिछले हफ्ते दिल्ली मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। इसके तहत दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 15,000 अतिथि शिक्षकों को नियमित किया जाएगा।

अभ्यर्थी होने का दावा करने वाले प्रदर्शनकारियों ने सभी उम्मीदवारों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षा आयोजित करने और अतिथि शिक्षकों को कोई विशेष तरजीह नहीं देने की मांग की।

उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षकों को प्राथमिकता देकर उनके साथ अन्याय किया गया है।

प्रदर्शनकारियों में से एक 39 वर्षीय अमित कुमार ने आईएएनएस को बताया, यह मेरा आखिरी मौका है और यदि वे विधेयक को पारित कर देते हैं, तो मुझे मौका नहीं मिलेगा।

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उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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