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आध्यात्म

श्रीकृष्ण ब्रह्म हैं

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kripalu ji maharaj

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कृषिर्भूवाचकः शब्‍दो नश्र्च निर्वृंतिवाचकः। तयोरैक्‍यं

परं ब्रह्म कृष्ण इत्यभिधीयते।।

(गोपालपूर्वतापिन्‍युपनिषद् – 1)

कृषि माने सत्ता, भू शब्द से भू, भू माने सत्त ‘ण’ माने आनन्द, तो-

सत्ता स्‍वानन्‍दयोर्योगाच्चित् पर ब्रह्मचोच्‍यते।।

श्रीकृष्ण ब्रह्म हैं, ब्रह्म। ब्रह्म किसे कहते हैं जी? ब्रह्म किसे कहते हैं? बड़ा। ब्रह्म माने बड़ा। कितना बड़ा?-

सत्‍यं ज्ञानमनन्‍तं ब्रह्म।

(तैत्तिरीयो. 2-1)

स्‍वयं त्‍वसाम्‍यातिशयस्‍ त्र्यधीशः।

(भाग. 3-2-21)

जिसके न कोई बराबर हो और न बड़ा हो-

न तत्‍समश्र्चभ्‍यधिकश्र्च दृश्‍यते।

(श्‍ वेता. 6-8)

न त्‍वत्‍समोऽस्‍त्‍यभ्‍यधिकः कुतोऽन्‍यः।

(गीता 11-43)

’निरस्‍तसाम्‍यातिशयेन राधसा’

(भाग. 2-4-14)

उसके बराबर कोई न हो, बड़ा होने की तो बात ही नहीं है। वे श्रीकृष्‍ण हैं, ब्रह्म-

कृष्‍णो ब्रह्मैव शाश्‍ वतम् ।

(कृष्‍णोपनिषद् 12वाँ मंत्र)

तो पूछा-

कः परमो देवः कुतो मृत्‍युर्बिभेति कस्‍यविज्ञानेनाखिलं विज्ञातं भवति।

(गोपालपूर्वतापिन्‍युपनिषद् -2)

तो उत्तर दिया-

श्रीकृष्णो ह वै परमं दैवतम् ।

(गोपालपूर्वतापिन्युपनिषद् -3)

आध्यात्म

आज होगी मां दुर्गा के अष्टम रूवरूप महागौरी की पूजा-अर्चना, इन बातों का रखें ख्याल, मिलेगी विशेष कृपा

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नवरात्र पर्व के आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं। इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है। इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है। सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है।

मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं। पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था। कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं। इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं। जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए। पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं। महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। मां गौरी की आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते..। इसी मंत्र से की जाती है। कहा जाता है कि एक बार भूखा शेर उन्हें निवाला बनाने के लिए व्याकुल हो गया पर उनके तेज के कारण वह असहाय हो गया। इसके बाद देवी पार्वती ने उसे अपनी सवारी बना लिया था। मां के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना करने से धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अष्टमी के दिन करें कन्या पूजन

नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं।

महागौरी की पूजा का महत्व

आदि शक्ति देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। महागौरी की आराधना से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख समृद्धि बढ़ती है। जो भी देवी भक्त महागौरी की सच्चे मन से आराधना व पूजन अर्चन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी करती हैं। पूजा के दौरान देवी को अर्पित किया गया नारियल ब्राम्हण को देना चाहिए।

कन्या पूजन विधि

नवरात्रि की अष्टमी के दिन कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें।

इसके बाद कन्याओं का पूरे परिवार के साथ चावल और फूल के साथ स्वागत करें।

नवदुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं। फिर कन्याओं को आरामदायक और साफ जगह पर बैठा दें।

सभी कन्याओं के पैर धोकर अच्छे से साफ करें। फिर सभी का कुमकुम का टिका लगाएं।

इन सभी कन्याओं को मां भगवती का स्वरुप समझकर उन्हें भोजन कराएं।

अंत में उन्हें दक्षिणा और कुछ उपहार देकर ही घर से विदा करें।

कन्या पूजन में इन बातों का रखें खास ख्याल

ध्यान रखें की कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ 1 बालक को जरूर बैठाएं। बालक को भैरव का रूप माना जाता है।

कन्याओं के तुरंत बाद लाकर उनके हाथ पैर जरुर धुलवाए और उनका आशीर्वाद लें।

कुमकुम का तिलक लगाने के बाद सभी कन्याओं को कलावा भी जरुर बांधे।

 

 

 

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