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नेशनल

दिल्ली सरकार की याचिका पर सीबीआई को शीर्ष अदालत से नोटिस

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नई दिल्ली| सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार की एक याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को नोटिस जारी किया। याचिका में उन दस्तावेजों को वापस करने की मांग की गई है, जो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय से जब्त किए थे।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया कि जिसमें उसने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दस्तावेज लौटाने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने केजरीवाल के कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी के खिलाफ पद के दुरुपयोग के मामले में उनके दफ्तर पर छापेमारी कर वहां से कुछ कागजात अपने कब्जे में लिए थे।

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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