आध्यात्म
कोई ऋषि मुनि मनुष्य नहीं बना सकता
ये कोई ऋषि मुनि मनुष्य नहीं बना सकता। अरे बनाने से ही काम नहीं चलेगा। बनाने के बाद आपने क्या किया? संसार के परमाणु परमाणु में व्याप्त हो गये। ये कोई जीव कैसे व्याप्त होगा? वो तो एक शरीर में व्याप्त हो सकता है, बस। और इतना ही नहीं किया आपने, एक एक जीव के हृदय में एक एक रूप से बैठ कर-
ईश् वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।
(गीता 18-61)
’द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया।‘
(श् वेता. 4-6)
सबके अन्दर बैठकर उसको शक्ति देते हैं। अनन्त जन्मों के कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। वर्तमान कर्म नोट करते हैं। अरे एक काम है? इतने सारे अनन्त ब्रह्माण्ड के प्रत्येक जीव के प्रत्येक क्षण का प्रत्येक कर्म एक साथ करते हैं और इच्छा नहीं है। ऐंऽ! समझ में नहीं आया। अरे नहीं आयेगा रे। समझने की चेष्टा मत कर-
आत्मनि चैवं विचित्राश् च हि।
(ब्र. सू. 2-1-28)
त्वयीश् वरे ब्रह्मणि नो विरुध्यते त्वदाश्रयत्वादुपचर्यते गुणैः।।
(भाग. 10-3-19)
भगवान् में दो विरोधी शक्तियाँ हैं। मैंने कहा न एक पराशक्ति पर्सनल पॉवर। उसके पास माया जा नहीं सकती और उसी के बल पर माया दूर रहती है, भगवान् से-
धाम्ना स्वेन सदा निरस्तकुहकं सत्यं परं धीमहि।
(भाग. 1-1-1)
’स्वतेजसा नित्यनिवृत्तमाया’ ।
(भाग. 10-37-23)
विलज् जमानया यस्य स्थातुमीक्षापथेऽमुया।
(भाग. 2-5-13)
माया परैत्यभिमुखे च विलज् जमाना।
(भाग. 2-7-47)
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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