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आध्यात्म

इन्द्रिय, मन बुद्धि उसके पास नहीं है

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kripalu ji maharaj

उसके मन वन नहीं है-

अदृष्‍टमव्‍यवहार्यमग्राह्यमलक्षणमचिन्‍ त्‍यमव्‍यपदेश्‍यमेकात्‍मप्रत्‍ययसारं प्रपंचोपशमं शान्‍तं शिवमद्वैतम् ।

(माण्‍डूक्‍यो. 7वाँ मंत्र)

स पर्यगाच्‍छुक्रमकायमव्रणमस्‍ नाविरँशुद्धमपापविद्धम् ।

कविर्मनीषी परिभूः स्‍वयम्‍भूः।।

(ईशा. 8)

इन्द्रिय, मन, बुद्धि उसके है ही नहीं? नहीं नहीं, है। अजी वेद कह रहा है-

स ईक्षत।     (ऐतरेयो. 1-1-1, 1-1-3, 1-3-1)

सोचा-

स ईक्षांचक्रे।   (प्रश्‍नो. 6-3)

सोचा-

स ऐक्षत।     (बृहदा. 1-2-5)

सोचा-

तदैक्षत।            (छान्‍दो. 6-2-3)

सोचा-

तज्‍जलानिति शान्‍तउपासीत। (छान्‍दो. 3-14-1)

अरे संसार उसने बनाया और किसी मनुष्‍य ने बनाया क्‍या? या जड़ प्रकृति ने बनाया? शंकराचार्य ने भी माना है-

यदिदं जगद्देव-गंधर्व-यक्ष-रक्षः पितृपिशाचादि लक्षणं द्युवि यत्‍पृथिव्‍या-

दित्‍यचंद्रग्रहनक्षत्रविचित्रं, विविधप्राण्‍युपभोग योग्‍यसाधन संबंधितदत्‍यंत-

कुशलशिल्पिभिरपि दुर्निर्माणं देशकालनिमित्‍तानुरूप

नियतप्रवृत्तिक्रमं एतद् भोक्‍तृकर्मविभागज्ञप्रयत्‍ नपूर्वकं भवितु मर्हति।

कार्यत्‍वे सति यथोक्‍तलक्षणत्‍वात् गृहप्रासादरथशयनासनादिवत् ।।

(शांकर भाष्‍य)

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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