आध्यात्म
भगवान सबसे परे है
ये इन्द्रियाँ नहीं जा सकती, कोई कर्म, धर्म, तपस्या, ज्ञान, योग वहाँ तक नहीं ले जा सकता। इन सबसे वो परे है-
इन्द्रियेभ्यः परा ह्यर्था अर्थेभ्यश्र्च परं मनः।
मनसस्तु परा बुद्धिर्बुद्धेरात्मा महान् परः।।
‘कठोप. 1-3-10)
महतः परमव्यक्तमव्यक्तात् पुरुषः परः।
पुरुषान्न परं किंचित्सा काष्ठा सा परा गतिः।।
(कठोप. 1-3-10, 1-3-11)
वेदान्त भी कहता है-
तदव्यक्तमाह हि।
(ब्र. सू. 3-2-22)
ऐ! वहाँ बुद्धि मत ले जाना। भागवत भी कहती है-
आस्थाय योगं निपुणं समाहितस्तं नाध्यगच्छं यत आत्मसम्भवः।।
(भाग. 2-6-34)
अरे छोटे मोटे की बात नहीं करते, जो ब्रह्मा है न ब्रह्मा, वो जब भगवान की नाभि से प्रकट हुआ और कमल के दण्ड से। तो उसने कहा कि मैं कहाँ से आया, पता लगाना चाहिये। तो अपनी योग शक्ति से कमल के नाल में घुसा, चला गया, चला गया, हजारों वर्ष, फिर लौट आया। पता ही नहीं चला ये कहाँ तक लम्बा है। यानी वो भगवान तक लम्बा है, उन्हीं की नाभि से तो निकला है, वहाँ तक नहीं जा सका-
संवत्सरसहस्रान्ते धिया योगविपक्वया।
(भाग. 3-6-38)
आध्यात्म
होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.
होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?
24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन की पूजन विधि
होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।
फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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