Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

हम अपना सर्वस्व भूलकर शरीर के नातेदारों के चक्कर में पड़ गए

Published

on

‘मेरे’ को न जानने का दुष्‍परिणाम, जानने का जो तुम्‍हारे पास साधन है न बुद्धि, उससे नहीं जान सकते

Loading

 

वेद कह रहा है। साथ साथ जाता है। नरक गये, हाँ हाँ, हम साथ रहेंगे, स्‍वर्ग गये हम साथ रहेंगे, कुत्‍ते की योनि मिली मरने के बाद साथ रहेंगे, कुत्‍ते के अन्‍तःकरण में तुम भी रहोगे, हम भी रहेंगे। ऐसा है। लेकिन हम भूल गये। हम भूल गये अपने सर्वस्‍व को और शरीर के नातेदारों के चक्‍कर में पड़ गये। उसका परिणाम माया का आधिपत्‍य, उसका रियक्‍शन दुःख, अशान्ति, अतृप्ति, अपूर्णता, अज्ञान, अनन्‍त काल बीत गये। हम अनादि हैं न इसलिये।

तो शास्‍त्रों वेदों ने कहा कि हमारी बात मानों। ये तुम्‍हारा नहीं है, वो है। ये माया का जगत् तुम्‍हारे, एक तुम्‍हारा और है। तुम्‍हारा शरीर उसके लिये है, ये क्षणिक है। एक दिन मिला, एक दिन छूटेगा। लेकिन इसके लिये संसार आवश्‍यक है। अरे सबसे पहले तो तुम्‍हारा शरीर ही कैसे बनेगा अगर संसार न होगा। तुम्‍हारे बाप न होते, तुम्‍हारी माँ न होती तो उनका वीर्य न होता, रज न होता फिर वो मिलकर शरीर कैसे बनता? इसलिये संसार तो माँ के पेट से ही जरूरी हो गया। फिर शरीर का पालन पेट में भी हो रहा है, वो कैसे होता? माँ जो खायेगी उससे शरीर बनेगा, बड़ा होगा। वाह! क्‍या यंत्र है? खाये खाना माँ और उसका हिस्‍सा मिले हमको भी। हाँ। देखो, अगर किसी से कोई कहे शीर्षासन करो। एक आसन होता है योग में। सिर नीचे पैर ऊपर। तो पहले तो पाँच मिनिट भी बड़ा मुश्किल है। अभ्‍यास करते करते एक एक घंटा लोग कर लेते हैं। लेकिन कोई कहे कि चौबीस घंटे करो। अरे ये तो इम्‍पॉसीबिल। और आपने नौ महीने शीर्षासन किया माँ के पेट में, नौ महीने। पैर फैलाने की जगह नहीं थी गर्भाशय में। आपको पता नहीं है, भूल गये होंगे। किसी डॉक्‍टर से पूछ लेना। ये सब कष्‍ट तुम भोगे हो। शंकराचार्य ने कहा कि-

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं पुनरपि जननी जठरे शयनम् ।

इह संसारे खलु दुस्‍तारे कृपया पारे पाहि मुरारे।।

आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

Published

on

Loading

नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

Continue Reading

Trending