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प्रादेशिक

एक और आव्रजन त्रासदी का भी पंजाब सरकार पर असर नहीं

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चंडीगढ़| पंजाब सरकार और इसकी एजेंसियों द्वारा धोखेबाज आव्रजन और ट्रैवल एजेंटों पर लगाम न लगाने का नतीजा एक और त्रासदी के रूप में सामने आया है। ये एजेंट युवाओं को पश्चिमी देशों में आव्रजन का झांसा देकर इनसे पैसे ऐंठते हैं और फिर कहीं भी बीच मंझदार में बेसहारा छोड़ देते हैं। अवैध आव्रजन रैकेट के चंगुल में फंसे पंजाब के 25 युवाओं का पता नहीं चल पा रहा है। ये सभी एक नाव में सवार होकर अवैध रूप से अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। कहा जा रहा है कि इनकी नाव 10 जनवरी को मध्य अमेरिकी देश पनामा के पास डूब गई। हादसे में बचे एक युवक ने बीते सप्ताह अपने परिवार को हादसे की जानकारी दी।

मुख्यमंत्री प्रकाश सिह बादल के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने एक बार फिर औपचारिकताओं को निभा दिया। केंद्र से दखल देने की मांग की, प्रभावित परिवारों को जानकारी देने के लिए कंट्रोल रूम बनाया और लापता युवाओं की तलाश के लिए अधिकारियों को विदेश भेजा।

पनामा का यह हादसा 1996 के दिसंबर में माल्टा में हुए उस हादसे जैसा ही है जिसमें नाव डूबने से पंजाब के 283 युवा लापता हो गए थे।

हादसे के बाद बलवंत सिंह खेड़ा नाम के सामाजिक कार्यकर्ता ने माल्टा बोट ट्रेजडी मिशन का गठन किया। वह इस हादसे के दोषियों को सजा दिलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “बीते 20 सालों में, माल्टा नौका हादसे के बाद, उन 29 ट्रैवल एजेंटों के खिलाफ आरोप-पत्र तक नहीं दायर हुए, जिन पर केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था।”

इटली में तो इस मामले के तीन आरोपियों को सजा हुई, लेकिन भारत में सभी आजाद घूमते रहे।

पंजाब प्रिवेंशन ऑफ ह्यूमन स्मगलिंग एक्ट को 2012 में पारित किया गया। इसमें युवाओं को अवैध आव्रजन और अवैध ट्रैवल एजेंटों से बचाने के उपाय किए गए हैं। इसमें प्रावधान है कि सभी आव्रजन एजेंटों के पास राज्य सरकार द्वारा जारी लाइसेंस होना चाहिए। इसके बावजूद राज्य में सैकड़ों गैरपंजीकृत एजेंट खुलेआम काम कर रहे हैं।

पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता राजिंदर कौर भट्टल ने कहा, “फर्जी आव्रजन एजेंटों पर कार्रवाई पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन, पनामा हादसे ने साबित कर दिया है कि कोई कार्रवाई नहीं की गई है।”

उत्तर प्रदेश

रामनवमी पर भगवान सूर्य ने किया रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’

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अयोध्या। देशभर में आज रामनवी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार रामनवमी के मौके पर अयोध्या में खास आयोजन किया जा रहा है। 500 साल बाद अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम का सूर्य तिलक किया गया।

वैज्ञानिक दर्पण के जरिए सूर्य की किरण को भगवान रामलला के मस्तक पर पहुंचाया गया। इस दौरान सूर्य की किरणों ने लगभग 4 मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाई। शंखों की ध्वनि, मंत्रोच्चारण और पुजारियों की मौजूदगी में सूर्य तिलक के अवसर को और भी शानदार बना दिया। दूसरी ओर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि श्री रामनवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।

भगवान राम के सूर्याभिषेक के बाद लोगों ने दिव्य दर्शन किए। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद रामलला की ये पहली रामनवमी है। अयोध्या में रामनवमी की अद्भुत और विह्गम छटा दिखने को मिल रही है। इस दौरान रामलला की विशेष पूजा-अर्चना हुई। इस मौके पर राम मंदिर को फूलों और लाइटिंग से सजाया गया है। राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए गए हैं। यहां पर रात 11 बजे तक भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे। यहां पर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। दोपहर 12.16 बजे रामलला का सूर्यतिलक के भव्य दर्शन हुए।

इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी दी थी कि सूर्य के तिलक का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया है, वह बहुत सराहनीय और वह बहुत अद्भुत है, क्योंकि सूर्य की किरणें भगवान रामलला के ठीक ललाट पर पड़ी है। जैसे ही सूर्य की किरणें प्रभु राम के माथे पर पड़ी, वैसे ही पता चल रहा है कि भगवान सूर्य उदय कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा था कि इतना ही नहीं, त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने अवतार लिया था तो उस दौरान सूर्य देव एक महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है। जब हम प्रभु राम का आरती उतार रहे थे और सूर्य देव उनके माथे पर राजतिलक कर रहे थे तो वह दृश्य बहुत अद्भुत दिख रहा था।

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