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नेशनल

‘पाकिस्तान, भारत के बीच संवाद जारी रहे’

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इस्लामाबद| भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच नए कार्यक्रम के अनुसार इसी महीने प्रस्तावित बैठक के मद्देनजर दोनों देशों को अपने बीच संवाद के रास्ते खुले रखने चाहिए, ताकि आतंकवाद पर शांति की जीत हो सके। द न्यूज इंटरनेशनल के संपादकीय में कहा गया है, “यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सरहद के दोनों पार ऐसे तत्व हैं जो दोनों देशों के बीच शांति बाधित करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।”

अखबार ने कहा है कि इसलिए जरूरी है कि दोनों ही देशों के नेता ऐसे तत्वों पर लगाम लगाएं। बदकिस्मती से पठानकोट हमले के कारण दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली को झटका लगा है और भारत एक बार फिर दुश्मनी और कट्टरता की तरफ लौटने लगा है।

संपादकीय में कहा गया है कि विदेशमंत्री सुषमा स्वराज और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ हफ्ते पहले हुई पाकिस्तान यात्रा से दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक अविश्वास कम होता दिखाई पड़ रहा था। लेकिन एक बार फिर दोनों देशों के बीच विश्वास का पुल टूटता दिखाई पड़ रहा है।

अखबार ने कहा है कि भारत के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के बयानों ने एक बार फिर दोनों देशों के बीच कटुता बढ़ाने का काम किया है। “पर्रिकर ने पिछले साल भी बेहद आक्रमक टिप्पणियां की थी। उन्होंने पाकिस्तान को कार्रवाई नहीं करने पर एक साल में अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी।”

अखबार ने कहा है कि पाकिस्तान के विशेष जांच दल को पठानकोट दौरे की अनुमति देने से भी इंकार किया गया है। इसके बाद एसआईटी के पास यह विकल्प बचता है कि या तो वह नई दिल्ली का दौरा करे, जैसा कि भारत चाहता है, या फिर पाकिस्तान अतिरिक्त सबूत की मांग करे और नई दिल्ली उसे उपलब्ध कराए।

अखबार ने यह भी कहा है कि भारत ने हुर्रियत नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस हफ्ते पाकिस्तान में आयोजित कश्मीर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने से भी इंकार कर दिया है, और अब यह सम्मेलन भी स्थगित हो गया है।

संपादकीय में लिखा गया है कि भारतीय सीमा सुरक्षा बल सरहद पर लेजर की दीवार भी खड़ा करने वाला है, जो राडार की तरह काम करती है।लेकिन फिल्हाल खिड़कियां खुली हुई हैं। उन्हें हर हाल में खुला रखा जाना चाहिए, इस महीने तय कार्यक्रम के अनुसार विदेश सचिवों की मुलाकात के जरिए, ताकि आतंकवाद पर शांति की जीत हो सके।

नेशनल

सीएम बने रहेंगे केजरीवाल, कोर्ट ने पद से हटाने वाली याचिका की खारिज

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नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनके पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को इस भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है।

केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिका दिल्ली के रहने वाले सुरजीत सिंह यादव ने दी है, जो खुद किसान और सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। सुरजीत सिंह यादव का कहना था कि वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। याचिकाकर्ता सुरजीत ने अपनी याचिका में कहा था कि केजरीवाल के पद पर बने रहने से न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में दिक्कत आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया भी बाधित होगी और राज्य में कांस्टीट्यूशनल सिस्टम भी ध्वस्त हो जाएगा।

याचिका में कहा गया था कि सीएम ने गिरफ्तार होने के कारण एक तरह से मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद खो दिया है, चूंकि वह हिरासत में भी हैं, इसलिए उन्होंने एक लोक सेवक होने के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाने से खुद को अक्षम साबित कर लिया है, अब उन्हें इस मुख्यमंत्री पद पर नहीं बने रहना चाहिए।

 

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