Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

गुजरात : घूमते चरखे कर रहे उत्सव का आगाज

Published

on

Loading

वडोदरा| गुजरात में इन दिनों मकर संक्राति की तैयारियां जोर-शोर से तैयारी चल रही हैं। रंग-बिरंगी पतंगों से सजी दुकानें और तेजी से घूमते चरखे आने वाले पर्व की सूचना दे रहे हैं। अगले सप्ताह गुरुवार को मकर संक्रांति देश भर में मनाया जाएगा। मकर संक्रांति गुजरात का लोकप्रिय त्योहार है। गुजरात में इसकी मान्यता असम के बिहू जैसे फसली त्योहारों की तरह ही है। इस दिन यहां पतंग उड़ाने का भी प्रचलन है। इस उत्सव पर प्रत्येक घर के सदस्य पतंग उड़ाने के लिए उत्सुक रहते हैं। बच्चों से लेकर उम्रदराज लोग इस पर्व पर खुले आसमान के तले नजर आते हैं।

मकर संक्रांति से कई दिन पहले ही रंग-बिरंगी पतंगों और मांझे की खरीदारी शुरू हो जाती है। बच्चों में इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है।
14 वर्षीय हरीश कहते हैं, “मैं इस दिन अपने दोस्तों के साथ पतंग प्रतियोगिता करता हूं। इस मौके पर पतंग प्रतियोगिता काफी प्रचलित है। इस दिन हमारी बहुत सी पतंगें कट जाती हैं, लेकिन बावजूद इसके पतंग उड़ाने का जोश कम नहीं होता।” मकर संक्राति के कई दिन पहले ही रंग-बिरंगी पतंगों से बाजार पट जाते हैं। इस पेशे से जुड़े व्यापारियों को भी इस त्योहार से काफी लाभ मिलता है। पतंग और मांझा विक्रेता इकबाल बताते हैं, “इस त्योहार से एक सप्ताह पहले ही पतंगों और मंझे की ब्रिकी होने लगती है और यह इस त्योहार के चार दिनों तक जारी रहती है।” उन्होंने बताया, “मेरा परिवार इसकी निर्माण प्रक्रिया में शामिल रहता है। हमें इससे अच्छा लाभ मिलता है। मकर संक्रांति के बाद होली के त्योहार पर दोबारा ब्रिकी शुरू हो जाती है। चीनी मंझे पर प्रतिबंध लगने के बाद स्थानीय विक्रेताओं को राहत मिली है क्योंकि चीनी मांझा स्थानीय मंझे को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहा था।”

उत्साह और उमंग से भरपूर इस रंग-बिरंगे पर्व का एक स्याह पहलू भी है। इस पर्व के करीब आने पर पतंगों का मंझा दो पहिया चालकों के लिए खौफ का सबब बन जाता है। ताजा घटना है गुरुवार की है, जब बाइक से जा रहा 21 वर्षीय छात्र कांच के मिश्रण से बने मांझे से घायल हो गया था। इससे पहले भी एक घटना सामने आई थी कि पांच साल के एक स्कूली बच्चे की मंझे से गर्दन कट जाने से मौत हो गई थी।

खुशी और उमंग के पर्व पर ग्रहण लगाते इस मंझे की ब्रिकी पर प्रतिबंध हैं। इसके बावजूद इन घातक मंझों के विक्रेताओं और खरीदारों की कमी नहीं। गोंद और कांच के मिश्रण से निर्मित इन मंझों को विरोधियों की पतंग काटने के उद्देश्य से बनाया जाता है, लेकिन यही मांझे हर साल लोगों की जिंदगी को खतरे में डालते हैं। कई संस्थाएं भी इसके खिलाफ विरोध के स्वर उठा चुकी हैं, क्योंकि इससे केवल इंसानों को ही नहीं, आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। वडोदरा के कैब ड्राइवर रजनीकांत का कहना है, “लोगों को सुरक्षा के लिहाज से इस कांच निर्मित मंझे का उपयोग बंद कर देना चाहिए। इसके बाद इसका निर्माण अपने आप बंद हो जाएगा। यह उत्साह का पर्व है, इसे बिना किसी भय के हंसी-खुशी के साथ मनाना चाहिए।”

उत्तर प्रदेश

जौनपुर की चुनावी जंग हुई रोचक, बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को बनाया उम्मीदवार

Published

on

Loading

लखनऊ। बसपा ने उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट से पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि दूसरी ओर सपा ने एक वक्त में मायावती के करीबी रहे बाबू सिंह कुशवाहा को यहां से टिकट दिया है। वहीं बीजेपी ने पूर्व कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री कृपाशंकर सिंह को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है।

मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक पहले बाहुबली धनंजय सिंह के सपा से चुनाव लड़ने की अफवाहों से सियासी गलियारों में सरगर्मी तेज हो गई थी। इसके बाद उन्हें सजा हो गई और उनका लोकसभा चुनाव लड़ना टल गया। इन सबके बीच सपा ने बाबू सिंह कुशवाहा को इस सीट से मैदान में उतार दिया। इसके बाद बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी को टिकट देकर यहां मुकाबला त्रिकोणीय कर दिया है। उन्होंने बीएसपी के ऐलान के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘जय भीम जय जौनपुर’। उनके इस पोस्ट से सियासी हलचल बढ़ गई है।सूत्रों की मानें तो अब जौनपुरी सीट पर सियासी जंग काफी रोचक हो गई है।

इससे पहले उन्होंने धनंजय सिंह के जेल जाने के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट कर लिखा था, ‘आप सभी से एक अपील।हम आपकी भावनाओं की कद्र करते हैं लेकिन फैसला न्यायपालिका ने दिया है जिसका हमें सम्मान करना‌ चाहिए व साथ ही साथ अपने नेता श्री धनंजय जी का अनुसरण करते हुए किसी भी नेता अथवा दल के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आपके नेता के व्यक्तित्व पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।

उन्होंने आगे कहा था, ‘कभी किसी भी दल अथवा नेता के लिए ग़लत शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया, कृपया आप भी संयम बनाएं, धैर्य से काम लें।आपके नेता को आपके सहानुभूति की जरूरत है। उम्मीद करती हूं कि आप मेरी बातों पर अमल करेंगे।बता दें कि जौनपुर सीट पर छठवें चरण में 25 मई को वोट डाले जाएंगे।

 

Continue Reading

Trending