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प्रादेशिक

बिहार में बढ़ रहा जिम का ‘क्रेज’

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पटना| आज के आधुनिक युग में सभी लोग ‘स्मार्ट’ बनना चाहते हैं, ऐसे में शरीर की बनावट पर भी लोग खास ध्यान रख रहे हैं। बिहार में भी हाल के दिनों में फिटनेस को लेकर लोगों का झुकाव बढ़ा है। यही वजह है कि आज लोग टहलने और कठिन मेहनत करने के बजाय जिम में अपना पसीना बहा रहे हैं। प्रदेश की राजधानी पटना में करीब 300 जिम हैं।

जिम जाना लोगों के लिए अब शगल नहीं जरूरत बन गई है, वैसे कई लोग इसे फैशन के रूप में भी देखते हैं। एक अनुमान के मुताबिक पटना में गलियों और मुहल्लों की बात छोड़ दी जाए तो 300 से ज्यादा जिम खुल गए हैं। कई जिम में अत्याधुनिक सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

आधुनिक प्रकार के जिम में स्टीम बाथ, एरोबिक्स के साथ-साथ वेट लूज, मसल्स बनाने तथा शरीर के अंग से चर्बी घटाने के लिए कई तरह की मशीनों का प्रयोग किया जा रहा है।

पटना में जिम के चलन बढ़ने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पटना में अंतर्राष्ट्रीय सुविधाओं वाले इंटनेशनल ‘जिम चेन गोल्ड’ जिम की शाखा भी है।

पटना के आरपीएस मोड़ स्थित लायंस जिम के प्रशिक्षक चंद्र गुप्त कहते हैं, “आम तौर पर आज जिम जाने वाले लोगों का मुख्य मकसद होता है मोटापा घटाना और मसल्स बनाना। लेकिन अलग-अलग लोगों का शरीर उनकी आवश्यकता के अनुसार होती है और उसी के अनुरूप उस पर काम किया जाता है। वे कहते हैं कि उसी आवश्यकता के अनुसार उन्हें व्यायाम कराया जाता है और इसके लिए उन्हें खानपान के लिए भी दिशा निर्देश दिए जाते हैं।”

वे कहते हैं कि जिम में कई तरह के सप्लीमेंट भी दिए जाते हैं, जिससे शरीर को सही आहार मिल सके। उनका मानना है कि कार्डिओ और वेट ट्रेनिंग के बाद ही मोटापा कम किया जा सकता है।

पटना के एक महिला जिम की प्रशिक्षक आराधना कहती हैं कि आज के समय में महिलाएं भी अपने शरीर के बनावट के प्रति संजीदा हो गई हैं। वे कहती हैं कि महिला और पुरुष के शरीर में काफी अंतर होता है। महिलाओं के लिए सही तरीके से व्यायाम बताना एक अलग कार्य है। वे कहती हैं, “वैसे तो सभी को, परंतु खासकर महिलाओं को उसी जिम का चयन करना चाहिए जिस जिम में कुशल प्रशिक्षक हों।”

राजधानी के जगदेव पथ स्थित एक मल्टी जिम के प्रशिक्षक का कहना है कि पटना के जिमों में मोटापा घटाने के लिए साइकिलिंग, स्टेपर, क्रॉसओवर मशीन, एडप्टीव मोशन ट्रेनर जैसी विदेशी मशीनें आ गई हैं जो वजन घटाने में काफी मददगार हो रही हैं। वे कहते हैं कि आज जिम जाने के पहले यह जान लेना चाहिए कि जिम का प्रशिक्षक कितना जानकार है तथा वहां की मशीनें कैसी हैं।

एक अन्य जिम के निदेशक कहते हैं कि ऐसा नहीं कि केवल पटना में बल्कि बिहार के करीब सभी बड़े और छोटे शहरों में जिम का चलन बढ़ गया है। लोग अब अपने व्यस्त जीवनचर्या में टहलने और खेलने के बजाय जिम जाना पसंद करते हैं।

इधर, जिम जाने वाले युवा भी इस चलन को सही मानते हैं। वे कहते हैं कि शहरों में हर जगह वायु प्रदूषण है। सड़क पर आप सुबह में भी आजादी से टहल या दौड़ नहीं सकते। युवा आदर्श कुमार कहते हैं, “जिम में व्यायाम करने के बाद बहुत कम दिनों में शरीर में अंतर स्पष्ट दिखाई देने लगता है। मसल्स बन जाते हैं, हम स्मार्ट दिखते हैं और हमें क्या चाहिए।”

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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