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आध्यात्म

सम्पूर्ण वेदों व शास्त्रों का रस है श्रीमद् भागवतः आचार्य मृदुल कृष्‍ण

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सम्पूर्ण वेदों व शास्त्रों का रस, श्रीमद् भागवत, आचार्य मृदुल कृष्‍ण, सनातन धर्म, भगवान की पूजा-आराधना

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लखनऊ। श्रीमद् भागवत कथा का शुभारम्भ करते हुये विश्‍व-विख्यात कथा व्यास श्रद्धेय आचार्य मृदुल कृष्ण जी महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में भगवान की पूजा-आराधना करने के लिये आठ प्रकार की मूर्तियों का वर्णन किया गया है, उनमें से एक शब्दमय मूर्ति कही गयी है जोकि श्रीमद् भागवत जी है। भागवत जी का दर्शन, भागवत कथा का श्रवण तथा मनन करने वालों को पूर्ण फल की प्राप्ति होती है और सम्पूर्ण पापों का प्रच्छादन होता है।

भागवत के महात्म की चर्चा करते हुये आचार्य श्री ने बताया कि सम्पूर्ण वेदों व सम्पूर्ण शास्त्रों का रस है श्रीमद् भागवत। संसारिक मानवों को किसी प्रकार का कष्ट हो तो भगवान की भक्ति से कष्ट दूर हो जाता है परन्तु भक्ति को कष्ट हो जायें तो श्री भागवत जी दूर करती है। कथा आरम्भ होने से पूर्व अध्यात्म युवा सेवा समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार बाजपेई व अन्य सदस्यों के तत्वाधान में कलश यात्रा का आयोजन हरि भक्तधाम मन्दिर खजाना मार्केट के पास से कथा स्थल सेक्टर- जे , रेल नगर तक किया गया।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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