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प्रादेशिक

मनाएं बिना धूम-धड़ाके वाली दिवाली

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नई दिल्ली| कान के पर्दे हिलाकर रख देने वाली आतिशबाजी हम इंसानों के लिए दिवाली का जश्न हो सकती है, लेकिन बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए तो यह बस जी का जंजाल होती है। पशु चिकित्सकों और पशु अधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि दिवाली पर आतिशबाजी करने से पहले एक बार पालतू एवं बेघर पशुओं के बारे में जरूर सोचें।

दिवाली पर पटाखों के बेतहाशा शोर और उनसे होने वाले प्रदूषण की वजह से उन परिवारों को काफी मुश्किल होती है, जिनके घर में पालतू पशु भी हैं। पटाखों के तेज शोर से पालतू पशु डरकर इधर-उधर भागने लगते हैं।

एक औसत मानव कान 20 से 20,000 हट्र्ज तक की आवाजें सुन सकता है, लेकिन पशु मनुष्यों से करीब दोगुनी ज्यादा आवाजें सुन सकते हैं। ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि पटाखों की आवाज उन्हें करीब करीब बहरा बना सकती है।

पशु चिकित्सक अजय सूद ने आईएएनएस को बताया, “पालतू और बेघर जानवर आपकी दया के मोहताज हैं, इसलिए कृपया करके तेज आवाज वाले पटाखे न चलाएं।”

उन्होंने कहा, “बच्चों को पशुओं की पूंछ पर पटाखे बांधकर मजे नहीं लेने चाहिए..पालतू पशुओं को घर के अंदर रखें। उन्हें बाहर अकेले न छोड़ें। आप आतिशबाजी की आवाज को उनसे दूर रखने के क्रम में टेलीविजन या रेडियो की आवाज बढ़ा सकते हैं, क्योंकि वे इस आवाज से परिचित होते हैं। इससे उन्हें दिवाली के जश्न के दौरान शांत रखने में मदद मिलेगी।”

दिवाली की आतिशबाजी में बेघर पशु सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। वे कहीं जाकर दुबक जाते हैं और त्योहारी सीजन की आतिशबाजी रुकने के बाद ही सामने आते हैं।

पालतू पशुओं के स्टोर ‘वाट्सपप’ की मालकिन स्वाती टंडन ने आईएएनएस को बताया, “लोगों को थोड़ा ध्यान देना चाहिए और ज्यादा शोर करने वाले पटाखों से बचना चाहिए। दिवाली में होने वाली आतिशबाजी से डरे बेघर कुत्ते, बिल्लियां खाने तक की तलाश नहीं कर पाते और आतिशबाजी की वजह से चोटिल हो जाते हैं, क्योंकि वे यूं ही इधर-उधर भटकते रहते हैं। उन्हें देखने वाला कोई नहीं होता।”

थोड़ा-सा ध्यान देकर उन बेघर पशुओं की मदद की जा सकती है।

पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा), इंडिया के सहायक निदेशक सचिन बंगेरा ने कहा, “आतिशबाजी के दौरान कई जानवर तेज धूम-धड़ाके से सहम जाते हैं और घरों से भाग जाते हैं। उनमें से कुछ खुशनसीबों को पशु आवासों में जगह मिल जाती है और बाद में उन्हें उनके मालिक आकर ले जाते हैं, लेकिन कुछ कभी नहीं मिलते और कुछ को गंभीर चोटें आती हैं या वे पटाखों से बचने की कोशिश में मारे जाते हैं।”

पटाखों के शोर से पशुओं को होने वाले नुकसान के प्रति सतर्क करने के लिए नामचीन हस्तियां भी रैलियां निकाल रही हैं।

अभिनेत्री नरगिस फाखरी और जैकलीन फर्नाडीज ने अपने प्रशंसकों से पालतू पशुओं की खातिर पटाखे चलाने से बचने को कहा है, वहीं पशु प्रेमी अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने लोगों से बिना शोर शराबे और आतिशबाजी के दिवाली मनाने का आग्रह किया है। अनुष्का के कुत्ते का नाम ड्यूड है।

 

उत्तर प्रदेश

जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि  हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।

अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,⁠जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,⁠अस्पताल ले जाते समय ,⁠अस्पताल में इलाज के दौरान ,⁠झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,⁠झूठी आत्महत्या दिखाकर ,⁠किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।

सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं।  उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।

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