Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

जगद्गुरु कृपालु परिषत् ने चार हजार छात्राओं को बांटी जैकेट

Published

on

Loading

मनगढ़ (प्रतापगढ़)। जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन द्वारा संचालित कृपालु महिला महाविद्यालय, कृपालु बालिका इण्टरमीडिएट कॉलेज और कृपालु महिला महाविद्यालय की लगभग चार हजार छात्राओं के बीच शनिवार को जैकेट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जगद्गुरु श्रीकृपालु जी महाराज की सुपुत्रियों और जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी, सुश्री डॉ. श्यामा त्रिपाठी और सुश्री डॉ. कृष्णा त्रिपाठी द्वारा ये कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।IMG_3205

जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षाओं ने बताया कि सर्दी का मौसम आते ही श्रीमहाराज जी सदैव गरीबों के दुःख से दुःखी हो जाते थे और उन्हें प्रतिवर्ष कम्बल, गरम कपड़े आदि बांटते थे। श्रीमहाराज जी द्वारा दिखाए गए उसी मार्ग का अनुसरण करते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि जगद्गुरु कृपालु परिषत् हमेशा की तरह सामाजिक उत्थान के कार्यां में पूरी तरह से समर्पित है।

उल्लेखनीय है कि श्रीमहाराज जी की सतत् प्रेरणा से जगद्गुरु कृपालु परिषत् एजुकेशन द्वारा संचालित ये तीनों शिक्षण संस्थाएं कुण्डा जैसे ग्रामीण परिवेश में अमूल्य वरदान हैं। यहां बालिकाओं को उच्चतम शिक्षा प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

नेशनल

पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड

Published

on

Loading

सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा

Continue Reading

Trending