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आध्यात्म

बिहार में कलश स्थापना से देवी की आराधना शुरू

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पटना| बिहार में राजधानी पटना सहित लगभग सभी जगहों पर मंगलवार सुबह शारदीय नवरात्रि के पहले व्रत को लेकर आराधना और आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। बिहार विधानसभा चुनाव के कारण कड़ी सुरक्षा होने की वजह से कुछ क्षेत्रों में कुछ कम चहल-पहल दिखी। नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह में घरों, मंदिरों और पूजा पंडालों में कलश स्थापना हुई। कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा की आराधना शुरू हो गई।

मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के लिए पटना के पटन देवी, शीतला मंदिर सहित तमाम देवी मंदिरों की विशेष सजावट की गई है। पूजा पंडालों में भारी भीड़ जुटने के मद्देनजर भी विशेष प्रबंध किए गए हैं।

मंगलवार सुबह पटना के पटन देवी, शीतला मंदिर, नवादा के मां चामुंडा मंदिर, गोपालगंज के थावे भवानी मंदिर, गया के मंगला गौरी मंदिर सहित तमाम मंदिरों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार के अनुसार, नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्रि 21 अक्टूबर तक चलेंगे। 22 अक्टूबर को दशहरा है।

 

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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