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आध्यात्म

मप्र : पितृमोक्ष अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने किया पुरखों का तर्पण

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भोपाल| मध्य प्रदेश में सर्व पितृमोक्ष अमावस्या और सोमवती अमावस्या सोमवार को श्रद्धा एवं सद्भाव के साथ मनाई जा रही है। प्रदेश की तमाम नदियों और जलाशयों के तट पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने विशेष अर्चना कर पुरखों का तर्पण किया। पितृपक्ष के अंतिम दिन राजधानी भोपाल की बड़ी झील सहित अन्य जलाशयों पर सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे। सूर्योदय के साथ ही तर्पण का कार्य शुरू हो गया। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष के पहले दिन पुरखों को आमंत्रित किया जाता है और पूरे एक पखवाड़े तक तर्पण करने के बाद पितृमोक्ष अमावस्या को पुरखों को विदाई दी जाती है। आमंत्रण और विदाई के लिए श्रद्धालु को जलाशय या नदी पर पहुंचना होता है।

इसी तरह उज्जैन में क्षिप्रा नदी के रामघाट पर विभिन्न स्थानों से पहुंचे श्रद्धालुओं ने तर्पण करने के साथ अपने पूर्वजों को विदाई दी। मंदसौर में पशुपतिनाथ के मंदिर के करीब शिवना नदी के तट पर भी श्रद्धालुओं का सुबह से भारी जमावड़ा रहा।

इसके अलावा होशंगाबाद में नर्मदा नदी के सेठानी घाट, जबलपुर में ग्वारीघाट, ओरछा में बेतवा नदी के तट पर श्रद्धालुओं का मेला सा लगा रहा। सभी स्थानों पर पंडित एवं धर्माचार्यो ने पितृमोक्ष अमावस्या पर तर्पण कार्य पूरे विधि-विधान से संपन्न कराया।

एक तरफ जहां पितृमोक्ष अमावस्या मनाई जा रही है, वहीं महिलाओं ने सोमवती अमावस्या पर विशेष पूजा-अर्चना की। श्रद्धालु महिलाओं ने नदियों के तट पर पहुंचकर स्नान किया और पूजा-अर्चना कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करते हुए अनुष्ठान किया। इसके साथ नदियों के तट और मंदिरों के बाहर बैठे भिखारियों को दान आदि कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

 

आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

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