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नारी शक्ति का अद्वितीय उदाहरण हैं अरुणिमा
नई दिल्ली| उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर अंबेडकर नगर की अरुणिमा सिन्हा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं। एक पैर नकली होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी-एवरेस्ट को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला पर्वतारोही अरुणिमा परिस्थितियों को जीतकर उस मुकाम पर पहुंची हैं, जहां उन्होंने खुद को नारी शक्ति के अद्वितीय उदाहरण के तौर पर पेश किया है। भारत सरकार ने 2015 में उनकी शानदार उपलब्धियों के लिए चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान-पद्मश्री से नवाजा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणिमा की जीवनी-‘बॉर्न एगेन इन द माउंटेन’-का लोकार्पण किया। अरुणिमा उस महिला का नाम है, जिसने चार साल पहले एक रेल दुर्घटना में अपना सब कुछ खो दिया था लेकिन अपनी इच्छाशक्ति के दम पर जिसने खुद को सम्भाला और फिर से उसे या एक लिहाज से उससे बढ़कर हासिल कर लिया।
राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी रहीं अरुणिमा के लिए बीते चार साल का सफर मिश्रित भावनाओं से ओतप्रोत रहे हैं। 2011 में लखनऊ से दिल्ली आते वक्त लुटेरों ने अरुणिमा को रेलगाड़ी से नीचे फेंक दिया था। दूसरी पटरी पर आ रही रेलगाड़ी की चपेट में आने के कारण अरुणिमा का एक पैर कट गया था। इसके बाद अरुणिमा ने शासन और प्रशासन से तमाम लड़ाइयां लड़ीं और अपना हक लेकर रहीं। वैसे उन्होंने उस रेल दुर्घटना में जो खोया, उसे वह फिर से हासिल नहीं कर सकती थीं लेकिन अरुणिमा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक पर्वतारोही बनकर एवरेस्ट फतह करने की ठानी।
अरुणिमा को पता था कि अगर वह एक नकली पैर से एवरेस्ट फतह करने में सफल रहीं तो ऐसा करने वाली वह दुनिया की पहली महिला बन जाएंगी। अरुणिमा ने ऐसा खुद को साबित करने और साथ ही साथ यह भी साबित करने के लिए ठानी कि शारीरिक दुर्बलता किसी के मुकाम में राह में राेड़े नहीं आ सकती। अगर किसी में अपने लक्ष्य तक पहुंचने की ललक, मानसिक ताकत और इच्छाशक्ति है तो फिर कोई भी दुर्बलता उसे रोक नहीं सकती।
अरुणिमा कहती हैं मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि परिस्थितियां बदलती रहती हैं। पर हमें अपने लक्ष्य से भटकता नही चाहिए बल्कि उनका सम्मान और सामना करना चाहिए। जब मैं हॉकी स्टिक लेकर खेलने जाती तो मोहल्ले के लोग मुझ पर हंसते थे, मेरा मजाक उड़ाते थे। शादी हुई और फिर तलाक तब भी मैंने हार न मानी। बड़ी बहन व मेरी मां ने मेरा साथ दिया। हादसे के बाद मेरे जख्मों को कुरेदने वाले बहुत थे पर मरहम लगाने वाले बहुत कम। इतना कुछ होने के बाद मैंने अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। अन्तत: मुझे सफलता मिली। ट्रेन हादसे में मैंने अपना पैर गंवा दिया था। अस्पताल में बिस्तर पर बस पड़ी रहती थी। परिवार के सदस्य, मेरे अपने मुझे देखकर पूरा दिन रोते हमें सहानुभूति की भावना से अबला व बेचारी कहकर सम्बोधित करते। यह मुझे मंजूर न था। पर मुझे जीना था, कुछ करना था। मैंने मन ही मन कुछ अलग करने की ठानी जो औरों के लिए एक मिसाल बने।
अरुणिमा कहती हैं एम्स से छुट्टी मिलने के बाद दिल्ली की एक संस्था ने मुझे नकली पैर प्रदान किए। इसके बाद मैं नहीं रुकी। ट्रेन पकड़ी और सीधे जमशेदपुर पहुंच गई। वहां मैंने एवरेस्ट फतह कर चुकीं बछंद्री पाल से मुलाकात की। पाल ने मुझे अपनी शिष्या बनाने का फैसला किया। फिर तो मानो मुझे पर लग गए। उसके बाद मुझे लगने लगा कि अब मेरा सपना पूरा हो जाएगा। पाल की देखरेख में प्रशिक्षण पूरा करने के बाद 31 मार्च को अरुणिमा का मिशन एवरेस्ट शुरू हुआ। 52 दिनों की चढ़ाई में 21 मई को माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर वह विश्व की पहली विकलांग महिला पर्वतारोही बन गईं। अरुणिमा कहती हैं विकलांगता व्यक्ति की सोच में होती है। हर किसी के जीवन में पहाड़ से ऊंची कठिनाइयां आती हैं| जिस दिन वह अपनी कमजोरियों को ताकत बनाना शुरू करेगा हर ऊंचाई बौनी हो जाएगी। मैं एवरेस्ट की चोटी पर चढ़कर खूब रोई थी लेकिन मेरे आंसूओं के अधिकांश अंश खुशी के थे। दुख को मैंने पीछे छोड़ दिया था और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी से जिंदगी को नए अंदाज से देख रही थी।
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गृहमंत्री अमित शाह ने वाराणसी में काल भैरव मंदिर में की पूजा-अर्चना, बीजेपी की जीत का मांगा आशीर्वाद
वाराणसी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने बीजेपी और पीएम मोदी की जीत का आशीर्वाद मांगा।
बता दें कि गृह मंत्री बुधवार की शाम काशी दौरे पर पहुंचे थे। वे महमूरगंज के मोतीझील में पीएम नरेंद्र मोदी और वाराणसी से भाजपा प्रत्याशी के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया। फिर मोतीझील मैदान में जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने काशी के कार्यकर्ताओं में लोकसभा चुनाव को लेकर जोश भरने का काम किया। उसके बाद उन्होंने काशी में ही रात्रि विश्राम किया था। गुरुवार सुबह अचानक से दर्शन पूजन का प्लान तैयार किया गया था। इसके क्रम में प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में गृहमंत्री ने सबसे पहले काल भैरव मंदिर में दर्शन पूजन किया.
काशी के कोतवाल का दर्शन करने के बाद उन्हें विश्वनाथ मंदिर भी जाना था लेकिन अचानक से उनके कार्यक्रम में हुए बदलाव के बाद वह सीधे एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए, जहां से वह अगले कार्यक्रम के लिए जाएंगे। फिलहाल गृहमंत्री ने काल भैरव मंदिर में विशेष पूजन किया है। काल भैरव मंदिर के महंत नवीन गिरी का कहना है कि काल भैरव अष्टक के साथ उनका विशेष पूजन करवाया गया है ताकि सुख, शांति व समृद्धि के साथ उन्हें बड़ी जीत मिल सके।
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