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मुख्य समाचार

23 सितंबर 2015 का राशिफल

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मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्‍या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन

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मेष- आज आप काफी व्‍स्‍त रहेंगे। आपके पास कार्यों को पूर्ण करने की पर्याप्‍त ऊर्जा रहेगी। आर्थिक स्थिति बहुत अच्‍छी नहीं होगी परन्‍तु उसमे समय के साथ सुधार होगा।

वृष- आज आप काफी व्‍स्‍त रहेंगे।कई कार्य एक साथ आपके ऊपर आ जाएंगे। आपको प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध तरीके से कार्य करने चाहिये। परिवार का पूरा सहयोग प्राप्‍त होगा। सायंकाल के समय कुछ मित्रों से भेट हो सकती है।

मिथुन- आपको स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी कुछ समस्‍याएं हो सकती हैं। वाहन चलाते समय सावधानी रखें दुर्घटना के योग हैं। स्‍वयं को शारीरिक रूप से अधिक न थकाएं। यात्रा आज टाल देना श्रेयकर है।

कर्क- कुछ बातें आपकी योजनानुसार नहीं होगी। कार्यक्षेत्र में कुछ सहयोगी आपको निराश करेंगे। व्‍यापार व नए व्‍यक्तियों से वार्तालाप हेतु यह समय उचित नहीं है। अपने विचार किसी पर न थोपें।

सिंह- महत्‍वपूर्ण व्‍यापारिक कार्यों को आगे के लिए टाल दें। सफलता के योग क्षीण हैं। आर्थिक संबंधें में सावधान रहें। अपनी भावनात्‍मक जिन्‍दगी पर अधिक ध्‍यान दें। परिवार के दायित्‍वों की पूर्ति होगी।

कन्‍या- भली प्रकार अपनी बात न कह पाने के कारण संबंधों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। नए कार्य हाथ में लेने का यह ठीक समय नहीं है। भावनात्‍मक सहयोग की प्राप्ति होगी। स्‍वास्‍थ्‍य में काफी सुधार होगा।

तुला- आप अपने प्रियजन से अपनी भावनात्‍मक समस्‍या बाटेंगे। आपको यह लगेगा कि आपकी अनदेखी हो रही है। इसके लिए आप सुझाव भी चाहेंगे। आपको अपना सामाजिक दायरा और बढ़ाना चाहिए। नाकारात्‍मक विचारों को अपने पास न आने दें।

वृश्चिक- आज आपका मन अच्‍छा नहीं होगा। किसी से वार्तालाप हेतु यह समय ठीक नहीं है। अकेलापन महसूस होगा। आपके प्रियजन आपकी परेशानी समझेंगे व सहायता हेतु आगे आएंगे। किसी रिश्‍तेदार से सुखद समाचार प्राप्‍त होगा।

धनु- आप आज लोगों से मिलना जुलना नहीं चखहेंगे। कुछ समय अकेले में व्‍यतीत करना आपके लिये अच्‍छा है। पिछले दिनों से चली आ रही परेशानियों से आपको निपटना पड़ सकता है। परेशान न हों हर समस्‍या का कोई न कोई हल होता है।

मकर- आज आपको लगेगा कि आपके प्रियजन आपकी अनदेखी क‍र रहे हैं। आपको सलाह व सहयोग की आवश्‍यकता होगी। अपना सामाजिक दायरा और विस्‍तृत करें। संबंधों में कुछ तनाव हो सकता है।

कुंभ- आप आज काफी थकान महसूस करेंगे। वार्तालाप करने की मानसिक दशा में आज आप नहीं होंगे। अपनी दिनचर्या यथावत रखें व कोई महत्‍वपूर्ण निर्णय आज के दिन न लें। किसी मित्र से भेंट हो सकती है।

मीन- आज आर्थिक रूप से आपका दिन काफी अच्‍छा रहेगा। नई जगह निवेश करना आज हितकर नहीं है। आर्थिक हानि हो सकती है। यात्रा भी आज टाल दें। परिवार के साथ सुखद समय व्‍यतीत होगा।

नेशनल

पहले फेज के वोटर ने बिगाड़ा मोदी का मूड

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 का पहला चरण बीत गया। सात चरण में हो रहे चुनावों का ये सबसे बड़ा और पोलिटिकल पार्टीज के लिए लिटमस टेस्ट वाला चरण था। उत्तर प्रदेश की 8 सीटें वो थी जिन पर 2019 में भाजपा का पसीना छूट गया था।

जिस दिन अयोध्या में मर्यादा पुरषोत्तम राम के भव्य राम मंदिर में प्रभु राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हुई और उसे देख जिस तरह का जन-ज्वार उठा उससे गदगद होकर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने भाजपा और सहयोगी दलों के लिए 18वीं लोकसभा के लिए टारगेट सेट कर दिया 400 सीटों का और नारा दे दिया ‘अबकी बार 400 पार’। दरअसल ये 400 का टारगेट मोदी ने यूं ही नहीं सेट कर दिया। इसके पीछे कहीं न कहीं बीजेपी का कान्फिडन्स और विपक्ष को मानसिक दवाब में घेरने की रणनीति नजर आती है।

शुरुआत में जिस तरह से इंडि गठबंधन बिखरा बिखरा दिखाई दे रहा था उसे देखकर बीजेपी का ये टारगेट कठिन भी नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे जैसे कयामत की रात यानि मतदान की तारीख पास आती गई विपक्षियों को भी अपने अस्तित्व पर संकट नजर आने लगा और फिर मरता क्या न करता के मुहावरे पर अमल करते हुए सभी एक हो ही गए। दूसरी तरफ बीजेपी को 2014 और 2019 की तरह मोदी मैजिक और राम के नाम पर भरोसा था और उधर उसके वोटर के मन में अबकी बार 400 पार इतना गहरा बैठ गया था कि लगता है उसका वोटर भी घर में बैठ गया और जो मतदान प्रतिशत 2019 में करीब 69 प्रतिशत था वो करीब 60 प्रतिशत पर आकर टिक गया। यानि 9 फीसदी वोटर गर्मी में ac की हवा खा रहा था।

फिर क्या था इन्हीं 9 प्रतिशत मतदाताओं ने सत्तारूढ़ दल यानि मोदी के माथे पर चिंता की सिलवटें ला दी, लेकिन ऐसा नहीं है ये सिलवटें सिर्फ मोदी के माथे पर ही आईं हों ये लकीरें विपक्षी गठबंधन के नेताओं के माथे पर भी थीं और हो भी क्यूँ नहीं क्योंकि evm खुलने के पहले कोई नहीं जानता कि जो वोटर घर में बैठा था वो आखिर कौन था। क्या वो सरकार से नाराज वो व्यक्ति था जिसे विपक्ष मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हो पाया या फिर ये वो आदमी था जिसे ये लग रहा था मैं वोट दूँ या न दूँ क्या फरक पड़ता है आएगा तो मोदी ही।

दरअसल उदासीनता की वजह को भी जानना जरूरी है-

2014 में बदलाव की लहर थी जनता भ्रष्टाचार की कहानियाँ सुनकर ऊब चुकी थी
2014 में मोदी पूरे देश के सामने गुजरात मॉडल लेकर आ रहे थे जिसे सोशल मीडिया के धुरंधरों ने हर फोन तक बखूबी पहुंचाया
2014 में मोदी ने जिस तरह देश को अपनी सभाओं से मथ के रख दिया उसका भी जनता पर काफी असर पड़ा
2019 में पुलवामा कांड ने राष्ट्रवाद को जगाया और 2014 में 282 सीट वाली बीजेपी 303 के आँकड़े पर पहुँच गई
लेकिन 2024 में न तो 2014 जैसे एंटी इन्कमबंसी जैसी लहर है और न 2019 जैसा राष्ट्रवाद जैसा

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