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मुख्य समाचार

21 सितंबर 2015 का राशिफल

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मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्‍या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन

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मेष- आपको आज लोगों व समाज के साथ चलना पड़ेगा। ऐसा कोई कार्य न करें जिससे आपकी निन्‍दा हो प्रतियोगिता में भाग लेने पर सफलता प्राप्‍त होगी।

वृष- आप अपने कार्य स्‍वयं कर सकते हैं साथ ही उसके लिए अपने मित्रों पर भी विश्‍वास कर सकते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहेगा। आर्थिक दृष्टि से भी दिन काफी अच्‍छा रहेगा।

मिथुन- अपने सोचे हुए कार्यों को आप आसानी से पूरा कर सकेंगे। दवाइयों, वस्‍त्रों व लोहे के व्‍यापार में सफलता प्राप्‍त होगी। छोटी-मोटी समस्‍याओं को नजर अंदाज करते हुए आप अपने लक्ष्‍य की प्राप्ति कर सकेंगे।

कर्क- आप आज काफी ऊर्जावान रहेंगे व अपने कार्य सहजता से पूर्ण कर सकेंगे। तनाव में कमी आएगी। विदेश में कार्यकर रहे लोगों से संबंध मजबूत हो सकते हैं। परिवार में विवाद की स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है।

सिंह- कई जातकों को अपने कार्य में कुछ सुखद क्षण प्राप्‍त होंगे। दूसरों द्वारा किए गए कार्यों से आप संतुष्‍ट नहीं हो सकेंगे। अपने दायित्‍वों की पूर्ति हेतु सिर्फ अपनी भावनाओं पर ही निर्भर न रहें।

कन्‍या- आप अपने ज्ञान को कुछ और बढ़ा सकते हैं। संबंधों में नर्मी बनाए रखें। दयालुता व बुद्धिमानी से अधिकतर कार्य संभव हो सकेंगे। लोग आपके अंदर एक कूटनितिक को देख सकेंगे।

तुला- आप जो बदलाव चाह रहे थे वह सायंकाल तक आपके सामने होंगे। आपके लिए काफी महत्‍वपूर्ण संबंध में अचानक ही कोई बड़ा बदलाव आ सकता है। संबंधों में काफी सुधार की संभावना है।

वृश्चिक- आपको आज किसी नई योजना अथवा कार्य का आंरभ नहीं करना चाहिए। सायंकाल तक स्‍वास्‍थ्‍य में कुछ गिरावट हो सकती है। परिस्थितियां आपके नियंत्रण से बाहर होंगी।

धनु- आज का दिन आपके लिए कई सुखद आश्‍चर्य लेकर आएगा। यदि आप किसी सुखद समाचार की प्रतिक्षा कर रहे हैं तो सायंकाल तक आपकी प्रतिक्षा समाप्‍त हो जाएगी।

मकर- योजनाओं में अचानक ही काफी परिवर्तन हो सकते हैं। परिवार में विवाद बढ़ सकता है। स्‍वयं के व्‍यवहार पर ध्‍यान दें। आसपास के व्‍यक्ति काफी सहयोग देंगे।

कुंभ- अपने हास्‍य व सरलता से आसपास का वातावरण आप सुखद बना सकेंगे। किसी महत्‍वपूर्ण विषय पर किसी को सलाह देनी पड़ सकती है। पेट संबंधी कुछ परेशानियां हो सकती हैं।

मीन- आप स्‍वयं से व आसपास के वातावरण से काफी प्रसन्‍न होंगे। किसी प्रकार का परिवर्तन आपको पसंद नहीं आएगा। कार्यक्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में आप सफल होंगे।

 

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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