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मुख्य समाचार

ट्रेन से टकराया ट्रक, कांग्रेस विधायक समेत 5 की मौत

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बेंगलुरू/हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के पेनुकोंडा मंडल में रविवार देर रात एक अनियंत्रित ट्रक रेलवे क्रॉसिंग पर एक्सप्रेस ट्रेन से जा टकराया। इस हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में कर्नाटक के एक कांग्रेस विधायक भी शामिल हैं।

दुर्घटना अनंतपुर जिले में हुई, जहां ग्रेनाइट से लदे ट्रक के चालक का वाहन पर से नियंत्रण खो गया और ट्रक फाटक को तोड़ता हुआ नांदेड़ एक्सप्रेस से जा टकराया। अधिकारियों ने बताया कि हादसे में 20 लोग घायल हुए हैं, जिन्हें पेनुकोंडा और बेंगलुरू के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। दक्षिण पश्चिम रेलवे (एसडब्ल्यूआर) के एक अधिकारी ने बताया कि हादसा देर रात 2.30 बजे के आसपास हुआ। ग्रेनाइट लदा एक ट्रक अनंतपुर जिले के रांगेपल्ली एवं पेनुकोंडा स्टेशनों के बीच मदकसिरा रेलवे क्रॉसिंग पर फाटक को तोड़ता हुआ वहां से गुजर रही बेंगलुरू-नांदेड़ एक्सप्रेस (16594) से जा टकराया।”

यह हादसा आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र में कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू से 140 किलोमीटर की दूरी पर हुआ। हादसे में मारे गए पांच लोगों में ट्रक का चालक, ट्रेन के एसी प्रथम श्रेणी एच1 में यात्रा कर रहे तीन यात्री और एक रेल कर्मचारी शामिल हैं। इससे पूर्व स्थानीय अधिकारियों ने हादसे में मरने वालों की संख्या छह बताई थी, लेकिन रेलवे ने हादसे में कर्नाटक के विधायक सहित पांच लोगों के मारे जाने की पुष्टि की है।

तेज रफ्तार ट्रक की टक्कर से ट्रेन के एसी तृतीय श्रेणी बी1 और द्वितीय श्रेणी के दो कोच एस1 एवं एस2 भी पटरी से उतर गए, हालांकि इन डिब्बों में सवार यात्रियों में से कोई हताहत नहीं हुआ। अनंतपुर के जिलाधिकारी के. शशिधर ने कहा कि ट्रेन में सवार लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 20 बसों का प्रबंध किया गया है। हादसे में मारे गए विधायक ए. वेंकटेश नाइक कर्नाटक के रायचुर जिले के देवदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे। आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कामिनेनी श्रीनिवास एवं जिले के एक अन्य मंत्री पल्ले रघुनाथ रेड्डी ने घायलों को हर संभव सहायता दिए जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

हादसे के कारण बेंगलुरू-गुंतकल मार्ग पर रेल यातायात बाधित है। रेलवे अधिकारी स्थानीय लोगों की मदद से बेपटरी हुए रेल के डब्बों को पटरियों से हटाकर रास्ता साफ करने में जुटे हैं। जोनल रेलवे के बेंगलुरू संभाग ने घटना के तुरंत बार बचाव एवं राहत कर्मियों को घटनास्थल पर भेजा। एक अधिकारी ने बताया, “हादसे के बाद से रेल यातायात बाधित है। बेपटरी हुए डिब्बों को पटरियों से हटाने की कोशिश जारी है, ताकि जल्द से जल्द रेलगाड़ियों का आवागमन बहाल हो सके।”

पेनुकोंडा में एक रेलवे अधिकारी ने कहा कि हादसा ट्रक चालक की लापरवाही के कारण हुआ, जो काफी तेज रफ्तार से गाड़ी चला रहा था और वाहन पर नियंत्रण खो दिया। आंध प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हादसे को लेकर दुख जताया और जिलाधिकारी को घटना की जांच कराने के आदेश दिए। बेंगलुरू सिटी रेलवे स्टेशन पर दुर्घटना से जुड़ी सूचनाएं और जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए तीन हेल्पलाइन नंबर 080-22354108, 080-22156553 और 09731666751 जारी किए गए हैं।

नेशनल

दूसरे चरण में धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह भेद पाएंगे मोदी!

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

लखनऊ। राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस केंद्र में सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति लेकर मुसलमानों को बांट देगी. इसके बाद ही विकास की रफ्तार पर चलने वाला चुनाव दूसरे चरण के पहले हिन्दू मुस्लिम के बीच बंट गया है। दरअसल मोदी का ये बयान यूं ही नहीं आया है, दूसरे चरण में जहां जहां मतदान होना है वहाँ की बहुतायत सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है… इसमें राहुल गांधी की वायनाड सीट भी है जहां मुस्लिम वोटर करीब 50 फीसदी है।

26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान होना है। पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है जिसमें कम मतदान प्रतिशत ने सत्तारूढ़ बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व को चिंता में डाल दिया है। दूसरे चरण में 88 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हैं। केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर इसी चरण में मतदान हो जाएगा। कर्नाटक की 14 और राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर भी मतदान होगा।

इसके पहले कि मोदी के बयान के गूढ़ार्थ को समझा जाए एक बार दूसरे चरण की सीटों का गणित समझना जरूरी हो जाता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है केरल राज्य जहां पर चल रहे लव जिहाद के किस्से और धार्मिक ध्रुवीकरण के समीकरण का चक्रव्यूह आज तक बीजेपी नहीं भेद पाई है। केरल में हिन्दू आबादी करीब 54 फीसदी है तो मुस्लिम आबादी करीब 26 फीसदी तो ईसाई वहां 18 फीसदी हैं। जबकि सिख बौद्ध और जैन महज 1 फीसदी हैं। यही वो धार्मिक समीकरण का तिलिस्म हैं जिसे बीजेपी इस बार तोड़ने का प्रयास कर रही हैं।

इतना ही नहीं केरल में करीब 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं मुस्लिम बहुतायत में हैं। वहीं वायनाड में तो मुस्लिम आबादी करीब 50 फीसदी है जहां से राहुल गांधी पिछले बार जीत कर सांसद चुने गए थे और इस बार भी वायनाड़ के रास्ते दिल्ली पहुंचना चाहते हैं। राज्यवार नजर डालें तो पिक्चर काफी हद तक साफ हो जाती है। आखिर शब्दों पर संयम रखने वाले मोदी ने चुनावी फिजा बदलने वाला ये बयान क्यों दिया? इसके लिए इन सीटों पर नजर डालिए।

इन सीटों पर दूसरे चरण में मतदान

असम: दर्रांग-उदालगुरी, डिफू, करीमगंज, सिलचर और नौगांव।
बिहार: किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका।
छत्तीसगढ़: राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर।
जम्मू-कश्मीर: जम्मू लोकसभा ।
कर्नाटक: उडुपी-चिकमगलूर, हासन, दक्षिण कन्नड़, चित्रदुर्ग, तुमकुर, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, बेंगलुरु उत्तर, बेंगलुरु केंद्रीय, बेंगलुरु दक्षिण,चिकबल्लापुर और कोलार।
केरल: कासरगोड, कन्नूर, वडकरा, वायनाड, कोझिकोड, मलप्पुरम, पोन्नानी, पलक्कड़, अलाथुर, त्रिशूर, चलाकुडी, एर्णाकुलम, इडुक्की, कोट्टायम, अलाप्पुझा, मवेलिक्कारा, पथानमथिट्टा, कोल्लम, अट्टिंगल और तिरुअनंतपुरम।
मध्य प्रदेश: टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद।
महाराष्ट्र: बुलढाणा, अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल- वाशिम, हिंगोली, नांदेड़ और परभणी।
राजस्थान: टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारा।
त्रिपुरा: त्रिपुरा पूर्व।
उत्तर प्रदेश: अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग, रायगंज और बालूरघाट।

दरअसल देश की 543 लोकसभा सीटों में से 65 सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटर जीत और हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 30 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक है। वहीं, करीब 35-40 लोकसभा सीटें ऐसी हैं जहां इनकी मुस्लिम समुदाय के वोटरों की अच्छी खासी संख्या है। यानि करीब 100 लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां अगर वोटों का ध्रुवीकरण हो गया तो भाजपा के लिए उसके लक्ष्य 400 के आंकड़े को हासिल करना आसान हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर ये साफ हो गया विपक्षी कितनी भी कोशिश कर लें वो चुनाव बीजेपी की पिच पर ही लड़ने को मजबूर हैं।

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