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आध्यात्म

नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खुले

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उज्जैन| नागपंचमी (बुधवार) के मौके पर मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट मंगलवार देर रात विशेष पूजा-अर्चना के साथ खोल दिए गए। यहां हजारों की संख्या श्रद्धालु पहुंचे। मंदिर के कपाट साल में एक बार नागपंचमी पर 24 घंटे के लिए खोले जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने से हर दुख से मुक्ति मिल जाती है। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के सबसे ऊपरी तल पर स्थित है। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की मूर्ति स्थापित है, जो नेपाल से लाई गई थी। मंदिर के अगले हिस्से में नाग पर विराजमान भगवान शिव की एक मूर्ति है।

मंदिर में मंगलवार देर रात पहले महानिर्वाणी अखाड़े के महंत ने विशेष पूजा-अर्चना की। उसके बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। देर रात शुरू हुआ दर्शनों का सिलसिला बुधवार सुबह भी जारी रहा। श्रद्धालुओं ने दर्शन के लिए कतार में लग अपनी बारी आने का इंतजार किया। मंदिर के कपाट बुधवार रात तक खुले रहेंगे।

 

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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