प्रादेशिक
मप्र में बारिश से 69 लोगों की मौत
भोपाल| मध्य प्रदेश में बारिश ने इस साल काफी कहर बरसाया है। राज्य में बारिश से जहां बाढ़ के हालात बने, वहीं इंसान से लेकर जानवरों तक की जिंदगी मुसीबत में पड़ गई। बारिश से राज्य में अब तक 69 लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल मानसून की बारिश में एक जून से 12 अगस्त के बीच 69 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें सबसे ज्यादा 19 मौतें सीहोर जिले में हुई है। इसके अलावा राजगढ़ में नौ, इंदौर में सात, रायसेन, शाजापुर व रतलाम में छह-छह, उज्जैन में पांच, खंडवा में चार, आगर मालवा में तीन, छतरपुर में दो और धार व देवास में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। वहीं रतलाम जिले में तीन लोग लापता हैं। राज्य में बारिश से कई मकान ढह गए और 205 पशुओं की जानें गईं हैं।
राजस्व विभाग की ओर से जारी ब्यौरे के अनुसार, राज्य में एक जून से 12 अगस्त तक 21 जिले में सामान्य से अधिक, 16 जिलों में सामान्य एवं 14 जिलों में कम वर्षा हुई है। सामान्य से अधिक वर्षा वाले जिलों में इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, देवास, शाजापुर, आगर-मालवा, गुना, भोपाल, सीहोर, राजगढ़ रायसेन, खंडवा, हरदा, बैतूल, खरगोन एवं छिंदवाड़ा शामिल हैं।
वहीं, 16 जिलों जबलपुर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, नरसिंहपुर, सतना, सिंगरौली, होशंगाबाद, अशोकनगर, विदिशा, ग्वालियर, उमरिया, शिवपुरी, बुरहानपुर, बड़वानी, एवं भिंड में सामान्य वर्षा हुई है। इसके अलावा कटनी, बालाघाट, पन्ना, अनूपपुर, दमोह, सीधी, सागर, टीकमगढ़, मुरैना, दतिया, शहडोल, छतरपुर, श्योपुर और रीवा ऐसे जिले हैं, जहां कम बारिश दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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