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आध्यात्म

उप्र : सावन का दूसरा सोमवार आज, शिवालयों में उमड़े श्रद्घालु

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लखनऊ| उत्तर प्रदेश में वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर सहित विभिन्न शहरों में आज सावन के दूसरे सोमवार पर बड़ी संख्या में भक्त उमड़ पड़े। सुबह से ही मंदिरों में भगवान शिव का दर्शन करने के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है। सूत्रों के अनुसार, काशी विश्वनाथ मंदिर में सोमवार तड़के से ही लोग जलाभिषेक कर रहे हैं। सुबह 11 बजे तक हजारों की संख्या में श्रद्घालु जलाभिषेक कर चुके थे। इसके लिए लोग रात से ही कतार में लगे थे। प्रात: चार बजे मंगला आरती के बाद दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ। यहां लोग जयकारों के साथ बाबा विश्वनाथ के पूजा-दर्शन कर रहे हैं।

भगवान महादेव का पुष्प, दुग्ध, शहद, घी व चंदन से रुद्राभिषेक किया जा रहा है।

इसके साथ ही मरकडेय महादेव (कैथी) के जलाभिषेक को लोग बड़ी संख्या में उमड़े हैं। संतकबीरनगर के तामेश्वरनाथ मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार को आज भगवान शिव के जलाभिषेक को भक्त उमड़े हुए हैं।

बांदा से मिली खबर के अनुसार, बांदेश्वर पर्वत पर श्रद्घालुओं की भीड़ है। यहां भक्त गर्भ गुफा में शिवलिंग के दर्शन कर रहे हैं। यहां ओम नम: शिवाय जप के साथ पूजा-अर्चना की जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि गोरखपुर में भी भक्तों की भीड़ है। यहां के मंदिरों में आधी रात से भक्त जलाभिषेक कर रहे हैं।

 

आध्यात्म

आज होगी मां दुर्गा के अष्टम रूवरूप महागौरी की पूजा-अर्चना, इन बातों का रखें ख्याल, मिलेगी विशेष कृपा

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नवरात्र पर्व के आठवें दिन महागौरी की पूजा होती है। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं। इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है। इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है। सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है।

मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं। पार्वती ने भगवान शिव की कठोर तपस्या करने के बाद उन्हें पति के रूप में पाया था। कथा है कि एक बार देवी पार्वती भगवान शिव से रूष्ट हो गईं। इसके बाद वह तपस्या पर बैठ गईं। जब भगवान शिव उन्हें खोजते हुए पहुंचे तो वह चकित रह गए। पार्वती का रंग, वस्त्र और आभूषण देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं। महागौरी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। मां गौरी की आराधना सर्व मंगल मंग्लये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते..। इसी मंत्र से की जाती है। कहा जाता है कि एक बार भूखा शेर उन्हें निवाला बनाने के लिए व्याकुल हो गया पर उनके तेज के कारण वह असहाय हो गया। इसके बाद देवी पार्वती ने उसे अपनी सवारी बना लिया था। मां के आठवें स्वरूप महागौरी की आराधना करने से धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

अष्टमी के दिन करें कन्या पूजन

नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं।

महागौरी की पूजा का महत्व

आदि शक्ति देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। महागौरी की आराधना से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख समृद्धि बढ़ती है। जो भी देवी भक्त महागौरी की सच्चे मन से आराधना व पूजन अर्चन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी करती हैं। पूजा के दौरान देवी को अर्पित किया गया नारियल ब्राम्हण को देना चाहिए।

कन्या पूजन विधि

नवरात्रि की अष्टमी के दिन कन्याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें।

इसके बाद कन्याओं का पूरे परिवार के साथ चावल और फूल के साथ स्वागत करें।

नवदुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं। फिर कन्याओं को आरामदायक और साफ जगह पर बैठा दें।

सभी कन्याओं के पैर धोकर अच्छे से साफ करें। फिर सभी का कुमकुम का टिका लगाएं।

इन सभी कन्याओं को मां भगवती का स्वरुप समझकर उन्हें भोजन कराएं।

अंत में उन्हें दक्षिणा और कुछ उपहार देकर ही घर से विदा करें।

कन्या पूजन में इन बातों का रखें खास ख्याल

ध्यान रखें की कन्या पूजन में 9 कन्याओं के साथ 1 बालक को जरूर बैठाएं। बालक को भैरव का रूप माना जाता है।

कन्याओं के तुरंत बाद लाकर उनके हाथ पैर जरुर धुलवाए और उनका आशीर्वाद लें।

कुमकुम का तिलक लगाने के बाद सभी कन्याओं को कलावा भी जरुर बांधे।

 

 

 

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