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आध्यात्म

भोलेनाथ की नगरी में उतरा कांवड़ियों का सैलाब

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वाराणसी। काशीपुराधिपति को अतिप्रिय सावन के पहले सोमवार को काशी शिवमय हो उठी। भक्ति के हिंडोले पर सवार मनभावन सावन सड़कों और गलियों में उतर आया। हजारों कांवड़ियों ने ‘बोल बम’ और ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से भैरव को अपने आगमन की सूचना दी।

नगर के इस ओर से उस छोर तक कांवड़ियों के जत्थे आस्था के अनगिनत रंग घोलते रहे। वे जिस किसी राह से गुजरे, आकर्षण का केंद्र बने रहे और हर एक की श्रद्धा के पट खोलते रहे। पावन मास के पहले सोमवार को बड़ी संख्या में लोगों ने बाबा के दर्शन-पूजन और दूध व जल से अभिषेक किया।

कांवड़ियों ने नगर प्रवेश के साथ ही गंगा में डुबकी लगाई। पात्र में जल लिया और बाबा दरबार की ओर बढ़ गए। अभिषेक के बाद वे आगे की यात्रा पर निकले। कई ऐसे भी थे जो सुल्तानगंज से होते यहां आए। पूरा माहौल सावन की मुनादी करता दिखा, जो पूरे असर और मनोयोग के साथ काशी के कण-कण ही नहीं, लोगों के तन मन में भी पगा।

सावन में दर्शना-पूजन से पुण्य तो सभी बटोरते होंगे, लेकिन ‘अतिथि देवो भव’ और ‘नर सेवा नारायण सेवा’ काशी की परंपरा रही है। इसे इस बार भी निभाते हुए विभिन्न संस्थाओं द्वारा कांवड़िया सेवा शिविर लगाए गए हैं। रथयात्रा चौराहे पर काशी कांवड़िया शिविर और लक्सा रोड पर बाबा काशी विश्वनाथ भक्त सेवा समिति के शिविर का विधि-विधान से शुभारंभ किया गया। चित्तरंजन पार्क में लगाए शिवशक्ति कांवरिया तीर्थ यात्रा सेवा शिविर में इस धर्म के निर्वाह की मुश्तैदी दिखी। शिविरों में नि:शुल्क ठहरने, सामान व कांवर रखने, चाय व प्रसाद चखने, गरम पानी और दवा की व्यवस्था की गई है।

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आध्यात्म

होलिका दहन पर भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त

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नई दिल्ली। 24 मार्च यानी आज होलिका दहन मनाया जाएगा. होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है जिसमें लोग बढ़ चढ़कर भाग लेते हैं। इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे। इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11.13 बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा।

होलिका दहन की पूजन विधि

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं। यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें। अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं।

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें। शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं। भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं। शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है।

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