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नहीं बदला दोगला पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की गाड़ी 72 घंटे के भीतर ही पटरी से उतर गई। रूस में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ की मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने जिस तरह पलटी मारी, उससे बेहतर उसके दोगलेपल का सुबूत मिलना मुश्किल है। पाकिस्तान के अड़ियल रुख से साफ है कि उसका रवैया बदलने वाला नहीं है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के शीर्ष सलाहकार सरताज अजीज ने साफ कहा कि मुंबई हमला मामले में पाकिस्तान के आरोपियों के खिलाफ सुनवाई के शीघ्र निबटारे के लिए अतिरिक्त जानकारियों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रूस में “अतिरिक्त सूचनाएं” देने की बात कही गई थी।
पाकिस्तान ने एक दिन पहले भी यू-टर्न लेते हुए कहा था कि वह मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के सरगना जकीउर रहमान लखवी की आवाज के नमूने भारत को नहीं सौंपेगा। पाक की हिमाकतों का सिलसिला यही पर नहीं थमता। कश्मीर को लेकर भी पाकिस्तान ने पाकिस्तान ने फिर जहर उगला है और स्पष्ट कह दिया कि कश्मीर मुद्दे को शामिल किए बिना भारत-पाकिस्तान के बीच कोई वार्ता नहीं होगी। ठीक इसी समय पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने भी ईद के बहाने कश्मीरी अलगाववादियों को आमंत्रित किया है। इससे पहले पिछले साल भी दोनों देशों के विदेश सचिवों की प्रस्तावित बातचीन से ऐन पहले भी पाकिस्तानी उच्चायुक्त ने हुर्रियत नेताओं को आमंत्रित कर भड़काने वाला काम किया था।
कुछ दिन पहले पाकिस्तानी सेना द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी कैमरे लगाए जाने की भी पुष्टि हुई थी। कुल मिलाकर साफ है कि पाकिस्तान का रुख हमेशा की तरह आक्रामक ही है। पाकिस्तान का हुक्मरान चाहे कोई भी हो, उसका रुख परिवर्तित होने वाला नहीं है। कश्मीर को जबरदस्ती मुद्दा बनाने की कोशिश पाकिस्तान के सत्ता तंत्र की अंदरूनी मजबूरी का भी नाम दिया जाता है लेकिन इससे यह हकीकत नहीं बदलने वाली है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। देश के लोग यह कभी भी स्वीकार नहीं कर सकते कि पाकिस्तान कश्मीर मामले में दखल दे या फिर किसी तीसरे पक्ष को उसका हिस्सा बनाए। ऐसे में पाकिस्तान को अपनी खस्ता माली हालत और अस्थिरता को देखते हुए यह समझना चाहिए कि मोदी और नवाज के बीच बनी सहमति सिर्फ कागजों पर सिमट कर न रह जाए। यह उसके अपने हित में होगा अन्यथा भारत से टकराने का खामियाजा उसे निश्चित ही उठाना होगा।
नेशनल
वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी होंगे नए नौसेना चीफ, 30 अप्रैल को संभालेंगे पदभार
नई दिल्ली। वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी नए नौसेना प्रमुख होंगे। दिनेश त्रिपाठी 30 अप्रैल को अपना नया पदभार संभालेंगे और इसी दिन मौजूदा नेवी चीफ आर हरि कुमार सेवानिवृत होंगे।दिनेश त्रिपाठी अभी नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ हैं। वे इससे पहले पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रह चुके हैं। अपने 39 साल लंबे करियर में उन्होंने भारतीय नौसेना के कई अहम असाइनमेंट्स पर काम किया है।
वाइस एडमिरल त्रिपाठी का 15 मई 1964 को जन्म हुआ था और एक जुलाई 1985 में वह भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे। संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध विशेषज्ञ वाइस एडमिरल त्रिपाठी का करीब 30 वर्ष का लंबा और विशिष्ट करियर रहा है। नौसेना के उप प्रमुख का पद संभालने से पहले वह पश्चिमी नौसैन्य कमान के फ्लैट ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रह चुके हैं।
उन्होंने आईएनएस विनाश की भी कमान संभाली थी। रियर एडमिरल के तौर पर वह ईस्टर्न फ्लीट के फ्लैट ऑफिसर कमांडिंग रह चुके हैं। वह भारतीय नौसेना अकादमी, एझिमाला के कमांडेंट भी रह चुके हैं। सैनिक स्कूल और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला के पूर्व छात्र वाइस एडमिरल त्रिपाठी ने गोवा के नेवल वॉर कॉलेज और अमेरिका के नेवल वॉर कॉलेज में भी कोर्स किया है। उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम) और नौसेना मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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