प्रादेशिक
निषाद संघ ने किया मांझी के बयान का समर्थन
लखनऊ। राष्ट्रीय निषाद संघ (एनएएफ) के राष्ट्रीय सचिव व समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता लौटन राम निषाद ने बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के ‘आर्य-अनार्य व विदेशी-आदिवासी’ के मुद्दे पर दिए बयान को पूरी तरह से सही करार दिया है। उन्होंने कहा है कि अधिकांश पिछड़े, दलित, आदिवासी, वनवासी भारत के मूल निवासी व धरती पुत्र हैं। उन्होंने कहा कि यवन, हूण, पुर्तगाली, मुगल, अंग्रेज आदि की ही भांति आर्य भी ईरान, इराक व मध्य एशिया से आए हुए बाहरी कबीले हैं, जिन्होंने भारतीय समाज में घुल मिलकर अंग्रेजों की भांति ‘डिवाइड एंड रूल’ (बांटो और राज करो) की नीति अपनाकर शासन किया।
निषाद ने कहा कि यहां के इन बाहरी लोगों (सवर्ण) ने मूल निवासियों को गुलाम बनाकर अपनी व्यवस्था की लागू की, जिसे वर्णाश्रम व्यवस्था व मनुवाद कहते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू वर्ण व्यवस्था के कारण ही समाज खंड-खंड में बंटकर कमजोर हुआ। भगवद् गीता के अनुसार, जाति या वर्ण का निर्धारण जन्म से नहीं, कर्म से होता है। गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा है, “चार वर्ण गुण और कर्मानुसार मेरे द्वारा बनाए गए हैं। यानी गुणकर्म के अनुसार व्यक्ति के वर्ण का निर्धारण होता है।”
निषाद ने कहा कि वेदों के मुताबिक, जन्म से सभी शूद्र होते हैं और संस्कार-कर्म से द्विजवर्ण को प्राप्त करते हैं। इन कथनों का निष्कर्ष है कि मानव योनि में जन्म लेने वाला हर व्यक्ति जन्म से शूद्र होता है और गुण, कर्म, स्वाभाव व संस्कार से अन्य वर्णो की योग्यता अर्जित करता है। उन्होंने कहा कि मांझी ने जो कहा, सही कहा। उनकी बात सवर्णो को हजम नहीं हो रही है। जो लोग इक्कीसवीं सदी में भी मनुवादी सोच रखते हैं, उन्हें महादलित समुदाय के मांझी का मुख्यमंत्री बनना भी हजम नहीं हो रहा होगा।
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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