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बिजनेस

चार में से तीन भारतीय करते हैं अनावश्यक उपहारों का भंडारण: सर्वेक्षण

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ओएलएक्स  डॉट इन और आइएमआरबी इंटरनेशनल ने कराया सर्वेक्षण
रि-गिफ्टिंग के चलन में बढ़ोत्तरी
सभी अनावश्यक उपहारों का पांचवा हिस्सा दूसरों को दे दिया जाता है
लखनऊ। यदि आपके घर में दीवाली के उपहारों की भरमार हो गई है जिनकी कोई जरूरत नहीं है तथा आप सोच रहे हैं कि इनका क्या किया जाये तो आपके लिए थोड़ी तसल्ली की बात है, क्योंकि देश में आप जैसे कई अन्य लोग भी हैं। शहरी भारत में जो लोग उपहार प्राप्त करते हैं, उन 6 में से एक उपहार ऐसा होता है, जो उनके किसी काम का नहीं। यह खुलासा किया है इस्तेमाल किये जा चुके सामानों के लिए भारत के नंबर वन बाजारस्थल ओएलएक्सह डॉट इन और आइएमआरबी इंटरनेशनल, अग्रणी बाजार शोध एवं परामर्श प्रदान करने वाली कंपनी द्वारा किये गये गिफ्ट मी नाट सर्वेक्षण में।

सर्वेक्षण में बताया गया कि अनावश्यक उपहार वे होते हैं, जो उपभोक्ता को पसंद नहीं अथवा वह उनके लिए किसी काम के नहीं हैं। सर्वेक्षण के अनुसार इन उपहारों का भंडारण करने के प्रति हमारा नजरिया बेहद प्रबल है। चार में से तीन लोग इन अवांछित उपहारों को भंडारित करके रखते हैं। सर्वेक्षण में शामिल 20 प्रतिशत प्रतिसादियों का कहना है कि वे इन अनावश्यक तोहफों को दोबारा उपहार में दे देते हैं, जबकि 9 प्रतिशत ने बताया कि वे इन्हें धर्मार्थ संगठनों को दान में देते हैं, वहीं 3 प्रतिशत प्रतिसादी पसंद न आने वाले उपहारों को बेच देते हैं तथा 1 प्रतिशत ने स्वीकार किया वे उन्हें फेंक देते हैं। सर्वेक्षण में खुलासा किया गया है कि शहरी भारतीय घरों में अनुमानतः 3.6 करोड़ रूपये के अनावश्यक उपहार बेकार पड़े हुये हैं।

अपनी सर्वव्यापी उपस्थिति के कारण ओएलएक्स द्वारा सर्वव्यापी (आम्नीप्रेजन्ट) बुलाये जाने वाले भारतीयों में भी उपहार को दोबारा किसी अन्य को भेंट में देने के चलन में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। सर्वेक्षण में शामिल प्रतिसादियों का कहना है कि वे उन्हें मिले 5 में से एक तोहफे को दोबारा गिफ्ट कर देते हैं। दिलचस्प बात है कि सिर्फ 20 प्रतिशत अवांछित तोहफे दोबारा उपहार में दिये जाते हैं, प्रतिसादियों का मानना है कि उन्हें दिये गये 27 प्रतिशत उपहार (3.6 करोड़ में से एक करोड़) रि-गिफ्ट किये जाते हैं।

ओएलएक्सि डॉट इन के सीईओ अमरजीत बत्रा ने कहा, ‘‘हाल के समय में शहरी भारत में समाजीकरण के नियमों में नाटकीय ढंग से बदलाव आया है और यह उपहार देने के तरीके में भी परिलक्षित होता है। लोग दूसरों की जरूरतों और पसंद पर सोचने के लिए अपना समय गंवाना पसंद नहीं करते। संबंधों में व्यक्तिगत अहसास खोता जा रहा है, इससे रि-गिफ्टिंग की अवधारणा को बढ़ावा मिला है। यहां तक कि कथित रि-गिफ्टिंग काफी प्रचलित हुई है।‘‘

अमरजीत बत्रा ने कहा, ‘‘ओएलएक्स ने अप्रयुक्त सामानों में छिपे पैसे के लिए शब्द ब्राउन मनी पर जोर दिया है। यह पैसा अप्रयुक्त सामानों पर जमी धूल से निकलकर आता है इसलिए इसे ब्राउन (भूरा) करार दियागया है। यदि प्रत्येक अप्रयुक्त उपहार की औसत कीमत 100 रूपये प्रति पीस है तो शहरी भारत में अवांछित उपहार बाजार का संपूर्ण वित्तीय मूल्य 360 करोड़ रूपये रहेगा। 1000 रूपये प्रति पीस की औसत कीमत पर यह आंकड़ा 3600 करोड़ रूपये पहुंच जायेगा। रि-गिफ्टिंग एक आलस्यपूर्ण विकल्प है। नगदी पाने और अर्थपूर्ण उपहकार खरीदने अथवा सामाजिक कल्याण के लिए पैसा दान करने के लिए अवांछित उपहारों को बेचने को प्राथमिकता दी जाती है।‘‘

सबसे अनावश्यक उपहार
3.6 करोड़ के अनावश्यक उपहारों में से, क्लादिंग और क्राकरी/रसोई के सामानों का सबसे अधिक योगदान है। इनके बाद खिलौनों, शोपीस, किताबों, निजी वस्तुओं, यूटिलिटी वस्तुओं, गिफ्ट वाउचर्स/कार्ड, बिजली के सामानों, खाद्य एवं पेय, चादरों और लिनेन का स्थान आता है।

पद्धति
अध्ययन का संचालन आइएमआरबी इंटरनेशनल द्वारा देश के चार क्षेत्रों में 16 शहरों में किया गया। शोध के अंतर्गत 5300 ग्राहकों का सर्वेक्षण किया गया। इन्हें 19-60 आयु वर्ग के समूह में से अचानक चुना गया था। सैंपल में विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता शामिल थे जिन्हें अक्सर अथवा कभी-कभी अनावश्यक उपहार मिलते रहते हैं और वे उन्हें किसी अन्य को दोबारा गिफ्ट कर देते हैं।

ओएलएक्स के विषय में:
ओएलएक्स  डॉट इन इस्तेमाल किए गए सामानों के लिए भारत का नंबर वन बाजारस्थल है और देश में ‘वी-कामर्स‘ का अग्रदूत है। यह भारतीय लोगों को इस्तेमाल किए गए सामानों और सेवाओं को बेचने और खरीदने की निःशुल्क, तेज और स्थानिक सुविधा मुहैया करता है। हर महीने भारत में लाखों लोग ओएलएक्स डॉट इन पर घरेलू सामान, फर्नीचर, उपभोक्ता सामग्री, वाद्य उपकरण, कार, मोटरसाइकिल, इलेक्ट्रानिक सामान, मोबाइल फोन, जमीन-जायदाद और स्थानिक सेवाओं जैसे विविध उत्पादों की खरीद-बिक्री करते हैं।

ओएलएक्सं डॉट इन को हाल में प्रतिष्ठित औद्योगिक पुरस्कार और सम्मान प्रदान किये गये हैं जिनमें पिच टाप 50 ब्रांड्स इन इंडिया, ट्रस्ट रिसर्च ऐडवाइजरी के ब्रांड ट्रस्ट रिपोर्ट 2014 द्वारा सर्वाधिक विश्वसनीय आनलाइन ब्रांड, श्योरवेव्ज बिजिएस्ट ब्रांड्स 2014 द्वारा भारत की नंबर-2 ई-कामर्स वेबसाइट और गूगल द्वारा भारत की दूसरी सबसे ज्यादा देखे जाने वाली शापिंग वेबसाइट के पुरस्कार शामिल हैं।

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मुंबई बना एशिया के अरबपतियों की राजधानी, बीजिंग को पीछे छोड़ा

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मुंबई। मुंबई में अरबपतियों की संख्या बीजिंग से अधिक हो गई है। हुरुन रिसर्च की 2024 ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार, मुंबई में 92 अरबपति हैं, जबकि बीजिंग में 91 अरबपति हैं। हालांकि चीन में भारत के 271 की तुलना में कुल मिलाकर 814 अरबपति हैं। ग्लोबल लेवल पर, मुंबई अब न्यूयॉर्क के बाद अरबपतियों के मामले में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, न्यूयार्क में अरबपतियों की संख्या 119 है। लिस्ट के मुताबिक, सात साल बाद लंदन 97 के साथ दूसरे स्थान पर है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “मुंबई दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते अरबपतियों की राजधानी है, इस साल इसमें 26 अरबपति शामिल हुए और यह दुनिया में तीसरा व एशिया में अरबपतियों की राजधानी बन गया है। नई दिल्ली पहली बार शीर्ष 10 में शामिल हुई।” भारत की आर्थिक शक्ति उसकी अरबपति आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि से और भी अधिक रेखांकित हुई। देश में आश्चर्यजनक रूप से 94 नए अरबपति जुड़े, जो संयुक्त राज्य अमेरिका को छोड़कर किसी भी देश में सबसे अधिक है। कुल मिलाकर यहां 271 अरबपति हो गए। यह उछाल 2013 के बाद से सबसे ज्‍यादा है और भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते आत्मविश्‍वास का प्रमाण है।

2024 हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अरबपतियों की संचयी संपत्ति चीन की प्रति अरबपति औसत संपत्ति (3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर बनाम 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) को पार करते हुए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि उद्योग के लिहाज से फार्मास्युटिकल क्षेत्र 39 अरबपतियों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग (27) और रसायन क्षेत्र (24) का स्थान है। सामूहिक रूप से भारतीय अरबपतियों की संपत्ति 1 खरब डॉलर के बराबर है, जो वैश्विक अरबपतियों की संपत्ति का 7 फीसदी है, जो देश के पर्याप्त आर्थिक प्रभाव को दर्शाता है।

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