Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

भोपाल गैस त्रासदी : अब भी अपनों के लिए मलाल

Published

on

Loading

भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की हाउसिंग बोर्ड कालोनी में रहने वाली कुसुम बाई की आंखें अपने दिवंगत पति जयराम को याद कर आज भी डबडबा जाती हैं। यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी गैस ने उन पर ऐसा कहर ढाया कि उन्हें पति का शव तक नहीं मिला। वह जयराम की तस्वीर निहारते सिर्फ यादों के सहारे जी रही हैं। गैस त्रासदी की ऐसी पीड़िताएं और भी हैं।

जहरीली गैस से अपनों को खोने वाले हजारों परिवार हैं, जिन्हें अपनों के शव तक नसीब नहीं हुए।

भोपाल में दो-तीन दिसंबर 1984 की रात काल बनकर आई थी। यूनियन कार्बाइड संयंत्र से मिथाइल आइसो साइनाइड (मिक) गैस रिसी और वह जिस ओर बढ़ी, वहां तबाही मचाती रही। कुसुम बाई बताती हैं कि वह हादसे की रात सो रही थीं, उनके पति ने उन्हें जगाया और कहा, “पूरा भोपाल भागा जा रहा है और तुम हो कि सो रही हो।”

कुसुम ने जैसे ही पति की बात सुनी, वह भी घर से निकल पड़ी। वह बताती हैं कि जहरीली गैस के कारण उनकी आंखों में जलन हो रही थी, फिर भी भागे जा रही थीं। उस रात जिसे जहां रास्ता दिख रहा था, वह भागे जा रहा था। सड़कों पर लोग गिरे हुए थे। बच्चों और महिलाओं की चीख-पुकार से पूरा माहौल मातमी हो गया था। उसी भगदड़ में कुसुम पति से बिछुड़ गईं। काफी खोजा, मगर पति कहीं नहीं मिले।

कुछ ऐसा ही दुख मेवा बाई का है। उसने भी अपने पति किशन को हादसे की रात खो दिया। वह बताती हैं कि उनके पति स्टेशन के पास फर्नीचर बनाने का काम करते थे। जब गैस रिसी तब वह दुकान पर थे। उन्होंने अपनी जान बचाने की बजाय घर आकर उन्हें जगाया। मेवा बाई जागीं और अपने बच्चों के साथ सुरक्षित स्थान की तलाश में भागीं। इसी दौरान वह पति बिछुड़ गईं।

उनके पति का आज तक कहीं कोई सुराग नहीं लगा है।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफोरमेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा बताती हैं कि प्रशासनिक आंकड़ा हकीकत से मेल नहीं खाता। बताया गया कि हादसे की रात ढाई से तीन हजार लोगों की मौत हुई, लेकिन यह सच्चाई से कहीं दूर है। पहले सात दिन तो हाल यह रहा कि प्रशासन अनगिनत शवों का अंतिम संस्कार करने की स्थिति में नहीं था। आखिरकार शवों की सामूहिक अंत्येष्टि करनी पड़ी और सैकड़ों शव नर्मदा नदी में बहा दिए गए। यही कारण रहा कि हजारों लोगों को अपने परिजनों के शव नसीब नहीं हो सके।

हर धर्म में अंतिम संस्कार का विधान है, मगर गैस पीड़ित हजारों परिवार ऐसे हैं जो अपनों को अंतिम विदाई तक नहीं दे सके। उन्हें 30 वर्ष बाद भी इस बात का मलाल है।

उत्तर प्रदेश

रामनवमी पर भगवान सूर्य ने किया रामलला के ललाट पर ‘सूर्य तिलक’

Published

on

Loading

अयोध्या। देशभर में आज रामनवी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार रामनवमी के मौके पर अयोध्या में खास आयोजन किया जा रहा है। 500 साल बाद अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम का सूर्य तिलक किया गया।

वैज्ञानिक दर्पण के जरिए सूर्य की किरण को भगवान रामलला के मस्तक पर पहुंचाया गया। इस दौरान सूर्य की किरणों ने लगभग 4 मिनट तक रामलला के ललाट की शोभा बढ़ाई। शंखों की ध्वनि, मंत्रोच्चारण और पुजारियों की मौजूदगी में सूर्य तिलक के अवसर को और भी शानदार बना दिया। दूसरी ओर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि श्री रामनवमी की पावन बेला में आज, श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्रभु श्री रामलला सरकार का दिव्य अभिषेक किया गया।

भगवान राम के सूर्याभिषेक के बाद लोगों ने दिव्य दर्शन किए। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद रामलला की ये पहली रामनवमी है। अयोध्या में रामनवमी की अद्भुत और विह्गम छटा दिखने को मिल रही है। इस दौरान रामलला की विशेष पूजा-अर्चना हुई। इस मौके पर राम मंदिर को फूलों और लाइटिंग से सजाया गया है। राम मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 3.30 बजे खोल दिए गए हैं। यहां पर रात 11 बजे तक भक्त रामलला के दर्शन कर सकेंगे। यहां पर मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। दोपहर 12.16 बजे रामलला का सूर्यतिलक के भव्य दर्शन हुए।

इससे पहले श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने जानकारी दी थी कि सूर्य के तिलक का सफल परीक्षण पूरा कर लिया गया है। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया है, वह बहुत सराहनीय और वह बहुत अद्भुत है, क्योंकि सूर्य की किरणें भगवान रामलला के ठीक ललाट पर पड़ी है। जैसे ही सूर्य की किरणें प्रभु राम के माथे पर पड़ी, वैसे ही पता चल रहा है कि भगवान सूर्य उदय कर रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा था कि इतना ही नहीं, त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने अवतार लिया था तो उस दौरान सूर्य देव एक महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है। जब हम प्रभु राम का आरती उतार रहे थे और सूर्य देव उनके माथे पर राजतिलक कर रहे थे तो वह दृश्य बहुत अद्भुत दिख रहा था।

Continue Reading

Trending