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आध्यात्म

सांई चेतना मंदिर सांई धाम में धूमधाम से मना वार्षिकोत्सव

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अरविन्द शास्त्री के भक्ति सूत्र सुनकर सांई भक्ति में डूबे श्रोता
लखनऊ। राजधानी लखनऊ के इन्दिरा नगर संतपुरम् के सांई चेतना मंदिर सांई धाम में धूमधाम से वार्षिकोत्सव मनाया गया। विधिवत पूजा-अर्चना तथा अनुष्ठान के साथ पूरे दिन भण्डारा चला तदुपरांत शाम को आचार्य अरविन्द शास्त्री जी ने भक्ति सूत्र सुनाकर तथा अपने भजनों से भक्तों को सांई भक्ति से सराबोर कर दिया। इस अवसर पर दिल्ली सहित अन्यप स्थानों से आये भक्तों ने भी सांई भजन सुना कर सांई भक्ति जगाई।

वार्षिकोत्सव के अवसर पर लखनऊ ही नहीं अन्य  स्थानों से भी बड़ी संख्या में भक्त यहां आयें। श्री शास़्त्री ने भक्ति का वर्णन करते हुए कहा कि जो भगवान में रम गया, उसका कभी भी अहित नहीं होता है। एक भजन सुनाकर कि जिसने भक्ति रे लगायी भगवान में, उसका दिया रे जले तुफान में पूरा विस्तार से भक्ति सूत्र का वर्णन किया। इस अवसर पर क्षेत्र के लोगों का मुफ्त इलाज भी किया गया तथा दवाईयां बाटी गयी।

संस्था की प्रमुख नमिता अस्थाना ने बताया कि मंदिर का वार्षिकोत्सव प्रतिवर्ष नवम्बर माह मे मनाया जाता है। उनके अनुसार मंदिर प्रांगण में तमाम जनसेवा के साथ होम्योपैथी धर्मार्थ चिकित्सालय व फिजीयोथेरेपी सेन्टर चलाया जाता है। इस फिजीयोथेरेपी सेन्टर में डा0 मनीष मिश्र सप्ताह में दो दिन गुरूवार व रविवार को अपनी सेवाएं देंते है। फिजीयोथेरेपिस्ट डा0 मिश्र बहुत अनुभवी है, वह दिल्ली सहित कई स्थानों पर अपनी सेवाएं दे चुके है। डा0 अश्वनी श्रीवास्तव भी होम्योपैथ में अपनी सेवाएं दे रहे है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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