प्रादेशिक
बीजद विधायकों ने नहीं चलने दी विधानसभा
भुवनेश्वर| उड़ीसा में सिंचाई की एक विवादास्पद परियोजना को लेकर सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजद) के विधायकों के हंगामे के कारण सोमवार को राज्य विधानसभा की कार्यवाही बाधित हुई। विधायकों का कहना है कि इससे राज्य के कई गांव डूब जाएंगे। जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, बीजद के विधायक हाथों में बैनर लिए सदन में पहुंचे। उन्होंने आंध्र प्रदेश में पोलोवरम परियोजना को केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी देने के विरोध में नारेबाजी की।
हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही अपराह्न् तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। ओडिशा सरकार को डर है कि कहीं इस परियोजना से राज्य के मलकानगिरि जिले के कई क्षेत्र डूब न जाएं। बीजद के विधायकों ने चक्रवाती तूफान से प्रभावित लोगों को केंद्र की ओर से सहायता देने में देरी करने का आरोप भी लगाया।
बीजद के प्रवक्ता समीर दास ने संवाददाताओं से कहा, “चूंकि आज से संसद का सत्र शुरू हो रहा है, हमने केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए इस मुद्दे को उठाया है। हमारा उद्देश्य सदन की कार्यवाही को बाधित करना नहीं है।” वहीं, विपक्ष का आरोप है कि सत्ताधारी पार्टी ने विधानसभा की कार्यवाही में यह बाधा चिट-फंड घोटाले पर चर्चा कराने से बचने के लिए डाली। सदन में विपक्षा के नेता नरसिंह मिश्रा ने कहा, “बीजद ने सदन की कार्यवाही बाधित कर इतिहास रचा है।”
उत्तर प्रदेश
जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं, मुख्तार की मौत पर बोले अखिलेश
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी की मौत पर सवाल उठाए हैं। साथ ही उन्होंने इस मामले पर योगी सरकार को भी जमकर घेरा है। उन्होंने मामले की सर्वोच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यूपी इस समय सरकारी अराजकता के सबसे बुरे दौर में है। यह यूपी की कानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि हर हाल में और हर स्थान पर किसी के जीवन की रक्षा करना सरकार का सबसे पहला दायित्व और कर्तव्य होता है। सरकारों पर निम्नलिखित हालातों में से किसी भी हालात में, किसी बंधक या क़ैदी की मृत्यु होना, न्यायिक प्रक्रिया से लोगों का विश्वास उठा देगा।
अपनी पोस्ट में अखिलेश ने कई वजहें भी गिनाई।उन्होंने लिखा- थाने में बंद रहने के दौरान ,जेल के अंदर आपसी झगड़े में ,जेल के अंदर बीमार होने पर ,न्यायालय ले जाते समय ,अस्पताल ले जाते समय ,अस्पताल में इलाज के दौरान ,झूठी मुठभेड़ दिखाकर ,झूठी आत्महत्या दिखाकर ,किसी दुर्घटना में हताहत दिखाकर ऐसे सभी संदिग्ध मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में जाँच होनी चाहिए। सरकार न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार कर जिस तरह दूसरे रास्ते अपनाती है वो पूरी तरह ग़ैर क़ानूनी हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि जो हुकूमत जिंदगी की हिफ़ाज़त न कर पाये उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक़ नहीं। उप्र ‘सरकारी अराजकता’ के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। ये यूपी में ‘क़ानून-व्यवस्था का शून्यकाल है।
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